
लातेहार, झारखंड। जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार के कैबिनेट द्वारा लिए गए ऐतिहासिक निर्णय को लेकर प्रदेशभर में ओबीसी समुदाय में खुशी की लहर है। इसी क्रम में ओबीसी संघर्ष मोर्चा के युवा प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार साहू ने इस फैसले का जोरदार स्वागत किया है और इसे एक सराहनीय कार्य बताया है।
धर्मेंद्र साहू ने कहा कि ओबीसी समुदाय वर्षों से अपने अधिकारों और प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा था, जिसे अब केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा, “हम लोगों द्वारा पूरे प्रदेश से जो मांग ओबीसी समुदाय द्वारा लगातार की जा रही थी, वह अब साकार होती नजर आ रही है। इसके लिए मैं यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एवं संपूर्ण कैबिनेट मंत्रीगणों को अपने पूरे प्रदेश के युवा वर्ग की ओर से बहुत-बहुत बधाई और अनंत शुभकामनाएं देता हूं।”
धर्मेंद्र कुमार साहू ने कहा कि यह निर्णय न केवल ओबीसी समुदाय के लिए बल्कि देश के वंचित, शोषित और पिछड़े वर्गों के लिए भी एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है। उन्होंने कहा, “यह कदम ऐतिहासिक है। इससे उन लोगों को अधिकार मिलेगा जो बरसों से उपेक्षित और हाशिए पर रखे गए थे। जातीय जनगणना से यह स्पष्ट होगा कि किन वर्गों की क्या स्थिति है, और इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचेगा।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा, “मोदी जी ने जो करके दिखाया है, वह अभूतपूर्व है। उन्हें शेर कहा जाए तो भी कम है। उन्होंने ओबीसी समुदाय की भावनाओं को समझा और उस पर ठोस कार्रवाई की।”
साहू ने आगे कहा कि इस फैसले से ओबीसी समाज को न केवल सामाजिक न्याय मिलेगा बल्कि उन्हें उनका हक और सम्मान भी प्राप्त होगा। इससे पिछड़े वर्गों की वास्तविक जनसंख्या का आकलन हो सकेगा और नीति निर्माण में पारदर्शिता आएगी।
उन्होंने कहा कि अब यह आवश्यक है कि इस जनगणना को जल्द से जल्द और निष्पक्ष तरीके से लागू किया जाए ताकि इसके लाभ वास्तविक रूप में सामने आ सकें। उन्होंने झारखंड सहित पूरे देश के ओबीसी वर्ग से इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करने और एकजुट रहने की अपील भी की।
इस निर्णय के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। जहाँ एक ओर विपक्ष इसे चुनावी रणनीति बता रहा है, वहीं ओबीसी समुदाय और उनसे जुड़े संगठन इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल मान रहे हैं।
झारखंड जैसे राज्य, जहाँ ओबीसी समुदाय की संख्या अच्छी-खासी है, वहां इस फैसले से सामाजिक और राजनीतिक संतुलन में नया मोड़ आ सकता है। धर्मेंद्र साहू का मानना है कि यह निर्णय भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करेगा और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र को साकार करेगा।