
यशवंत कुमार गौरव की रिपोर्ट,
RANCHI:-झारखंड मुक्ति मोर्चा को बड़ा झटका लगा है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और पार्टी की विधायक सीता सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया है.चपंई सोरेन के नेतृत्व में गठन हुई नई सरकार के बाद से ही सीता सोरेन नाराज बताई जा रही थीं.चंपई सोरेन ने बीते 2 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इस दौरान यह चर्चा थी कि सीता सोरेन को मंत्री बनाया जा सकता है. यही नहीं चर्चा यह भी थी कि सीता सोरेन को महिला आयोग या फिर किसी अन्य आयोग का अध्यक्ष बनाकर मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिलहाल सीता सोरेन नयी दिल्ली स्थित पार्टी के मुख्यालय में सीता सोरेन ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. झारखंड चुनाव प्रभारी व राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी और पार्टी के महासचिव विनोद तावड़े ने उनका स्वागत किया. मौके पर सीता सोरेन ने कहा कि झारखंड को बचाने के लिए वह भाजपा में शामिल हुई हैं. उनके ससुर शिबू सोरेन और पति दुर्गा सोरेन की अगुवाई में अलग झारखंड राज्य की लड़ाई लड़ी गयी. अलग झारखंड राज्य बना, लेकिन राज्य का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया. आज देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जाता रही है. उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हो रही हैं.बता दें कि सीता सोरेन ने आज ही परिवार और पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाकर जेएमएम के साथ विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया.
हेमंत सोरेन की भाभी के इस्तीफा देने के बाद से ही कयास लगाये जा रहे थे कि सीता सोरेन भाजपा में शामिल हो सकती हैं. इन सभी कयासों पर अब पूर्ण विराम लग गया है. पार्टी सूत्रों की मानें तो सीता सोरेन के भाजपा में जाने की पटकथा विगत कई महीनों से लिखी जा रही थी. सीता सोरेन चंपाई सोरेन सरकार में मंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज थी. लेकिन गुरु जी के दखल और समझाने के बाद सीता सोरेन चंपाई सोरेन सरकार को समर्थन दिया था. परिवार और पार्टी की उपेक्षा से नाराज होकर सीता सोरेन ने जेएमएम और विधानसभा की सदस्यता छोड़ने का निर्णय लिया. अपने इस्तीफा में लिखा कि आदरणीय गुरुजी बाबा केंद्रीय अध्यक्ष, झारखंड मुक्ति मोर्चा. मैं सीता सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय महासचिव एवं सक्रिय सदस्य वर्तमान विधायक हूं, आपके समक्ष अत्यंत दुखी हृदय के साथ अपना इस्तीफा प्रस्तुत कर रही हूं. मेरे स्वर्गीय पति, दुर्गा सोरेन, जो कि झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे, के निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहे हैं. पार्टी और परिवार के सदस्यों ने हमें अलग-थलग कर दिया है. जो कि मेरे लिए अत्यंत पीड़ादायक रहा है. मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेगी, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ. झारखंड मुक्ति मोर्चा जिसे मेरे स्वर्गीय पति ने अपने त्याग समपर्ण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था आज वह पार्टी नहीं रहीं, मुझे यह देखकर गहरा दुःख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गयी है. जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते.अथक प्रयासों के बावजूद हम एकजुट ना हो सके