पंकज कुमार यादव,
सरयु प्रखंड के चोरहा पंचायत अंतर्गत आने वाला बंदुआ गांव, जिसमें करीब 250 घर हैं, आज भी अंधेरे में डूबा हुआ हैआज़ादी के 78 साल बाद भी यह गांव बिजली की रोशनी से वंचित है।वर्षों पहले इस गांव तक बिजली का कनेक्शन तो पहुंचा दिया गया था और कुछ समय के लिए करीब 100 से 150 दिनों तक बिजली जली भी थी,लेकिन उसके बाद से बिजली व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई।
तब से आज तक गांव अंधेरे में डूबा हुआ है।ग्रामीणों का कहना है कि कई बार विभागीय अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया,लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।बिजली के अभाव में बच्चों की पढ़ाई खेती-किसानी और मोबाइल चार्ज जैसी सामान्य जरूरतें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि जब भी शिबिर लगाया गया, तब उन्होंने हर बार आवेदन दिए, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं मिला।इसी बीच सांसद प्रतिनिधि विवेकानंद गुप्ता और उल्फन सिंह ने बंदुआ गांव का दौरा कर ग्रामीणों से मुलाकात की।उन्होंने गांव की स्थिति का जायजा लिया और बिजली व्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की।
ग्रामीणों ने उनसे जल्द से जल्द इस समस्या के समाधान की मांग की।गांव के निवासी सुशील उरांव ने बताया —बिजली लाइन नहीं होने से सिंचाई, पढ़ाई और मोबाइल चार्जिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं बाधित हैं।हमारी मांग है कि डोमाखाड़ पिकेट से तार जोड़कर बिजली की व्यवस्था की जाए, ताकि गांव उजाले में जी सके।
”वहीं उपेंद्र उरांव ने कहा कई बार आवेदन देने के बावजूद आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।”गीता कुमारी ने बताया बिजली न रहने के कारण बच्चों की पढ़ाई में बहुत दिक्कत होती है।
”ग्राम प्रधान ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में वीडीओ से बात की थी।वीडीओ ने समस्या कीजानकारी होने की बात तो स्वीकार की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी बंदुआ गांव के लोग अंधेरे में जीने को विवश हैं।अब ग्रामीणों की उम्मीद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से जुड़ी है कि यह वर्षों पुरानी समस्या जल्द हल हो और बंदुआ गांव भी रोशनी से जगमगा उठे।