rajesh kumar
गोमिया:-ललपनिया में आयोजित होने जा रहा लुगुबूरू घंटाबाड़ी धरोमगढ़ महोत्सव इस वर्ष पहले से कहीं अधिक भव्य, सुव्यवस्थित और ऐतिहासिक स्वरूप में संपन्न होगा। गुरुवार को ललपनिया स्थित श्यामली गेस्ट हाउस सभागार में उपायुक्त अजय नाथ झा एवं पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह की अध्यक्षता में पूजा आयोजन समिति, जिला स्तरीय पदाधिकारियों और विभिन्न कंपनी प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक हुई।
बैठक में महोत्सव की तैयारियों को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। मौके पर उप विकास आयुक्त शताब्दी मजूमदार, अपर समाहर्ता मो. मुमताज अंसारी, एनडीसी प्रभाष दत्ता, डीटीओ मारूति मिंज, जिला शिक्षा पदाधिकारी जगर्नाथ लोहरा, जिला शिक्षा अधीक्षक अतुल कुमार चौबे, जिला योजना पदाधिकारी राज शर्मा, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा पियूष, तथा जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रवि कुमार सहित कई अधिकारी उपस्थित थे।उपायुक्त अजय नाथ झा ने कहा कि यह महोत्सव आयोजन समिति के निर्देशन और प्रशासनिक सहयोग से आयोजित किया जाएगा।
यह पर्व आदिवासी समाज की सांस्कृतिक एकता, पहचान और परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए सभी विभाग अपनी जिम्मेदारी तय करें।
डीसी ने एसडीओ बेरमो, बीडीओ-सीओ गोमिया सहित सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे लगातार आयोजन समिति के संपर्क में रहकर तैयारी करें। उन्होंने सड़क, पेयजल, बिजली, शौचालय और सफाई व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देने को कहा। वहीं एसडीओ चास प्रांजल ढंडा को ट्रैफिक मैनेजमेंट और पार्किंग व्यवस्था की निगरानी का दायित्व सौंपा गया।
इस वर्ष का महोत्सव दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की स्मृति को समर्पित होगा। आयोजन समिति द्वारा टेराकोटा से निर्मित उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। दिसंबर तक आदमकद प्रतिमा भी लगाने की योजना है।
महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, लोकनृत्य, वाद्ययंत्र प्रदर्शन, साहित्यिक परिचर्चा और प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सूचना सहायता और स्वास्थ्य केंद्र, टेंट सिटी तथा नियंत्रण कक्ष की व्यवस्था की जाएगी।पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह ने कहा कि महोत्सव के दौरान पर्याप्त पुलिस बल, दंडाधिकारी, ड्रोन कैमरा और पेट्रोलिंग टीम तैनात रहेंगे। सुरक्षा और शांति बनाए रखना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है।बैठक के बाद डीसी-एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने स्थल निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। डीसी ने कहा कि यह आयोजन झारखंड की सांस्कृतिक पहचान के रूप में स्थापित होगा।