
नई दिल्ली — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश की सैन्य और रक्षा व्यवस्था के शीर्ष नेतृत्व के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, थल सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुख शामिल थे। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के संकेत दिए और कहा कि “आतंकवाद को करारा जवाब देना हमारा दृढ़ राष्ट्रीय संकल्प है।”
प्रधानमंत्री ने सैन्य बलों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे जवाबी कार्रवाई के लिए ऑपरेशनल निर्णय स्वयं लें। उन्होंने कहा, “हमारी जवाबी कार्रवाई का तरीका क्या हो, इसके टार्गेट्स कौन से हों, और इसका समय क्या हो — यह सब सेना खुद तय करे। सरकार ने उन्हें पूरी छूट दी है।” यह बयान देश की ओर से आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट और आक्रामक नीति का संकेत माना जा रहा है।
बैठक में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस हमले के पीछे जो भी ताकतें हैं, उन्हें इसका माकूल जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत की सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और हर शहीद जवान का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बैठक में खुफिया रिपोर्टों और हमले से जुड़ी जानकारियों की विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि इस हमले में शामिल आतंकवादी सीमा पार से आए थे और इसके पीछे एक सुनियोजित साजिश थी।
सेना प्रमुख जनरल ने कहा कि सेना पूरी तरह सतर्क है और आवश्यक कार्रवाई के लिए तैयार है। सूत्रों के अनुसार, नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की गतिविधियों में तेजी आई है और विशेष बलों को अलर्ट पर रखा गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान न केवल सेना का मनोबल बढ़ाने वाला है, बल्कि यह पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी एक स्पष्ट चेतावनी है कि भारत अब पहले की तरह संयम नहीं बरतेगा। यह रणनीति “सर्जिकल स्ट्राइक” और “एयर स्ट्राइक” की नीति की ही अगली कड़ी के रूप में देखी जा रही है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को लगातार सख्त किया है। 2016 के उरी हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी और 2019 के पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक कर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था।
जनता के बीच भी इस बैठक और प्रधानमंत्री के बयान के बाद एक नया उत्साह और विश्वास देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर “#NationWithForces” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं और लोग सरकार के फैसले के समर्थन में अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
विपक्षी दलों ने भी फिलहाल इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है। कांग्रेस पार्टी के नेता ने बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर पूरा देश एक साथ खड़ा है और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में सरकार और सेना को पूरा समर्थन है।
भारत की सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और हर शहीद जवान का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बैठक में खुफिया रिपोर्टों और हमले से जुड़ी जानकारियों की विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि इस हमले में शामिल आतंकवादी सीमा पार से आए थे और इसके पीछे एक सुनियोजित साजिश थी।
सेना प्रमुख जनरल ने कहा कि सेना पूरी तरह सतर्क है और आवश्यक कार्रवाई के लिए तैयार है। सूत्रों के अनुसार, नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की गतिविधियों में तेजी आई है और विशेष बलों को अलर्ट पर रखा गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान न केवल सेना का मनोबल बढ़ाने वाला है, बल्कि यह पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी एक स्पष्ट चेतावनी है कि भारत अब पहले की तरह संयम नहीं बरतेगा। यह रणनीति “सर्जिकल स्ट्राइक” और “एयर स्ट्राइक” की नीति की ही अगली कड़ी के रूप में देखी जा रही है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को लगातार सख्त किया है। 2016 के उरी हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी और 2019 के पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक कर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था।