ब्रहमोस और आकाश मिसाइलों की शौर्यगाथा अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी, बच्चों में शोध और राष्ट्रीय गर्व बढ़ाने की तैयारी

ब्रहमोस और आकाश मिसाइलों की शौर्यगाथा अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी, बच्चों में शोध और राष्ट्रीय गर्व बढ़ाने की तैयारी

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ब्रहमोस और आकाश मिसाइलों की शौर्यगाथा अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी, बच्चों में शोध और राष्ट्रीय गर्व बढ़ाने की तैयारी

समाचार:
नई दिल्ली। चंद्रयान की सफलता की तरह अब भारत की शूरवीर ब्रम्होस और आकाश मिसाइलों की कहानी भी देश के स्कूलों में बच्चों तक पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है। शिक्षा मंत्रालय ने इस पहल का संकेत दिया है, जिससे बच्चों में देश की सुरक्षा प्रणालियों के प्रति गर्व और शोध के प्रति रुचि बढ़ेगी।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को एक कार्यक्रम में बताया कि ब्रम्होस और आकाश मिसाइलें हमारे सैन्य बल की ताकत का प्रतीक हैं और उनकी सफलता शिक्षा प्रणाली की मजबूती का भी प्रमाण है। बच्चों तक इस तरह की तकनीकी और राष्ट्रीय उपलब्धियों को रोचक तरीके से पहुंचाने के लिए मंत्रालय जल्द ही सभी भारतीय भाषाओं में यह सामग्री उपलब्ध कराएगा।

यह योजना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है, जिसमें बच्चों में छोटे स्तर से ही शोध और नवाचार के प्रति रुचि विकसित करने पर जोर दिया गया है। इसके तहत मिसाइलों की तकनीकी विशेषताओं और उनके प्रभाव की कहानी बच्चों के लिए सरल और प्रेरणादायक भाषा में तैयार की जाएगी, जिससे वे देश की रक्षा प्रणालियों को समझ सकें और राष्ट्रीय हितों के प्रति जुड़ाव महसूस कर सकें।

शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि चंद्रयान मिशन की सफलता की कहानी को जिस तरह बच्चों में लोकप्रियता मिली, उसी तरह ब्रम्होस और आकाश मिसाइलों की कहानी भी स्कूलों में पढ़ाई जाएगी। यह कहानी इस बात पर भी प्रकाश डालेगी कि कैसे इन मिसाइलों ने पाकिस्तान की मिसाइलों को हवा में मार गिराकर उसके सुरक्षा तंत्र को भेद दिया और उसके आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया।

ब्रहमोस मिसाइल की रफ्तार 9878 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो इसे विश्व की सबसे तेज मिसाइलों में से एक बनाती है। इसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक है और इसका वजन 1290 किलोग्राम है। इसका भार वहन करने की क्षमता 3000 किलोग्राम तक है, जिससे यह भारी और शक्तिशाली हथियारों को भी ले जा सकती है। वहीं, आकाश मिसाइल की रफ्तार 3087 किलोमीटर प्रति घंटा है, इसकी मारक दूरी 80 किलोमीटर है और इसका वजन 720 किलोग्राम है। इसकी भार वहन क्षमता 60 किलो है।

मिसाइलों की इन खूबियों ने पाकिस्तान को न केवल तगड़ा झटका दिया, बल्कि उसे कुछ ही घंटों में शांति के लिए मजबूर कर दिया। ये मिसाइलें हमारी रक्षा क्षमता और तकनीकी श्रेष्ठता का ज्वलंत उदाहरण हैं।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी कहा कि शोध और नवाचार के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रधानमंत्री रिसर्च फंड में आवश्यक बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि शोधकर्ताओं को बेहतर संसाधन मिल सकें और देश के हित में नयी-नयी तकनीकों का विकास हो सके।

इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि देश के युवा वैज्ञानिक और शोधकर्ता बनेंगे, जो भविष्य में भारत को तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। बच्चों के मन में देशभक्ति और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इस प्रकार, ब्रम्होस और आकाश मिसाइलों की शौर्यगाथा न केवल एक सैन्य उपलब्धि होगी, बल्कि यह बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी, जो उन्हें देश की सुरक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

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