
रांची। दुमका लोकसभा क्षेत्र में हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन क्यों हारी, इसका कारण अब सामने आ गया है। एक गलती उनपर भारी पड़ गई। दरअसल, जामताड़ा विधानसभा ने सीता सोरेन का खेल बिगाड़ दिया। यहां पर ही वह पिछड़ गईं। अगर, इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा थोड़ी और मेहनत कर देती तो खेल बन सकता था।दुमका लोकसभा क्षेत्र से गठबंधन प्रत्याशी नलिन सोरेन की जीत में जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से मिले वोटों की अहम भूमिका रही। आरंभ में भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन ने कई राउंड में नलिन सोरेन से बढ़त बनाई। जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र का ईवीएम खुला तो उन्हें तेजी से बढ़त मिली।नलिन सोरेन को लगभग 44 हजार से अधिक वोट जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से मिले, जिससे उन्होंने सीता सोरेन को पीछे धकेलने में कामयाबी पाई। इसके पीछे जामताड़ा के कांग्रेस विधायक डा. इरफान अंसारी की अहम भूमिका रही। नलिन सोरेन को टिकट मिलने के साथ ही उन्होंने क्षेत्र में पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में जामताड़ा में मिले वोट को बढ़ाने में भी कामयाबी पाई।
इरफान अंसारी ने नलिन सोरेन के लिए की जबरदस्त मेहनत
इरफान अंसारी ने पिछले विधानसभा चुनाव में लगभग 39 हजार वोट से जीत दर्ज की थी। उससे अधिक वोट यहां झामुमो प्रत्याशी के खाते में आए तो जीत की राह खुल गई। इसी अंतर की वजह से उन्होंने भाजपा की प्रत्याशी को शिकस्त दी। हालांकि भाजपा ने रणनीतिक तौर पर जामताड़ा में मजबूत घेराबंदी की थी।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में यहां बड़ी चुनावी सभा की। इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी क्षेत्र की परिस्थिति को देखते हुए कैंप किया। इस परिणाम से इरफान अंसारी का भी कद बढ़ा है।
इरफान अंसारी ने कहा कि भाजपा ने धर्म और जाति के नाम पर लोगों को तोड़ने का काम किया। जनता ने भाजपा को पूरी तरह नकार दिया। चुनाव में गलत शब्दों का भी उपयोग किया गया। लोगों ने स्पष्ट कर दिया कि जामताड़ा में भाजपा का प्रभाव नहीं चलने वाला है।