
मनिका (लातेहार):- प्रखंड परिसर में शुक्रवार को नरेगा सहायता केंद्र के तत्वावधान में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के उल्लंघन और एकल शिक्षक स्कूलों की समस्या को लेकर जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में अर्थशास्त्री प्रो. ज्यां द्रेज और मनिका नरेगा सहायता केंद्र के जेम्स हेरेंज प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
जनसुनवाई में मनिका प्रखंड के विभिन्न गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त समस्याओं, विशेषकर एकल शिक्षक वाले स्कूलों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।
55 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक
सारंग गायकवाड ने बताया कि झारखंड के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। मनिका प्रखंड के 55 सरकारी स्कूलों में केवल एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है, क्योंकि इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे दलित एवं आदिवासी समुदाय से आते हैं।
उन्होंने आईटीई मानदंड का हवाला देते हुए कहा कि प्रति स्कूल कम-से-कम दो शिक्षक और प्रति 30 छात्रों पर एक शिक्षक की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में एक ही शिक्षक को कई कक्षाओं को संभालना पड़ता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
कार्यक्रम में नरेगा सहायता केंद्र की पल्लवी कुमारी ने जनवरी से मार्च 2025 के सर्वेक्षण के हवाले से बताया कि मनिका प्रखंड के केवल 7% स्कूलों में ही कार्यशील शौचालय हैं। अधिकांश स्कूलों में शौचालय केवल नाममात्र के लिए बने हैं या पूरी तरह से खराब हैं, जिससे विशेषकर छात्राओं की नियमित उपस्थिति में बाधा उत्पन्न होती है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 के बाद से शिक्षकों की कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है, जिससे हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि शिक्षा के क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाए और शिक्षकों की नियुक्ति शीघ्र की जाए।
उपस्थित रहे कई सामाजिक कार्यकर्ता
इस अवसर पर नरेगा सहायता केंद्र की रितिका खेरा, पल्लवी कुमारी, गंगा भाई, विश्वनाथ जे., राज्यश्री पुरी, पचाठी सिंह समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण मौजूद थे।