
कटरा, जम्मू :— हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश और चिंता का माहौल है। इस हमले ने धार्मिक पर्यटन पर भी गहरा प्रभाव डाला है, विशेष रूप से मां वैष्णो देवी की यात्रा पर। जहां पहले प्रतिदिन लगभग 30,000 से 35,000 श्रद्धालु वैष्णो देवी के दर्शन के लिए पहुंचते थे, अब यह संख्या घटकर केवल 12,000 से 15,000 प्रतिदिन रह गई है।
श्रद्धालुओं की संख्या में इस तेज गिरावट से कटरा शहर और आसपास के व्यापारियों पर भी असर पड़ा है। होटल, टैक्सी, भोजनालय और अन्य सेवाएं जो पूरी तरह से इस धार्मिक यात्रा पर निर्भर हैं, वे अब घाटे में चल रही हैं। कई दुकानदारों का कहना है कि ऐसा सन्नाटा उन्होंने कोविड-19 के समय के बाद पहली बार देखा है।
कटरा में मौजूद एक होटल व्यवसायी राजेश गुप्ता ने बताया, “पहले हमारे होटल पूरी तरह बुक रहते थे। लेकिन अब कई कमरे खाली हैं। श्रद्धालु डर के कारण यात्रा स्थगित कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव ने लोगों के मन में असुरक्षा की भावना और बढ़ा दी है।
हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने भी कटरा और यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बढ़ा दी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और अन्य बलों ने अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर दी है। यात्रा मार्ग पर लगातार गश्त की जा रही है और हर श्रद्धालु की जांच कड़ी कर दी गई है। बावजूद इसके, भय का माहौल अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। “हमने सुरक्षा उपायों को और भी सख्त किया है। यात्रा मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे, मेटल डिटेक्टर और सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई गई है। हम यात्रियों से निवेदन करते हैं कि अफवाहों से बचें और यात्रा के लिए डरें नहीं।”
हालांकि कुछ श्रद्धालु अब भी मां के दर्शन के लिए आ रहे हैं। दिल्ली से आए एक श्रद्धालु अजय वर्मा ने कहा, “हम हर साल यहां आते हैं और मां की कृपा से सुरक्षित रहते हैं। डर से घर बैठना कोई समाधान नहीं है। हम पूरी आस्था और विश्वास के साथ आए हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक भारत-पाकिस्तान के बीच स्थिति सामान्य नहीं होती और पहलगाम जैसे इलाकों में पूर्ण शांति नहीं लौटती, तब तक धार्मिक पर्यटन की बहाली मुश्किल हो सकती है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर प्रयास कर रही हैं, लेकिन लोगों का भरोसा दोबारा जीतने में समय लग सकता है।
फिलहाल, मां वैष्णो देवी का दरबार पहले जैसी चहल-पहल से दूर है। श्रद्धालुओं की संख्या में आई गिरावट ने इस बात का स्पष्ट संकेत दिया है कि आतंकवादी हमलों का प्रभाव केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह देश की धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित करता है।
source;jagran
हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने भी कटरा और यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बढ़ा दी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और अन्य बलों ने अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर दी है। यात्रा मार्ग पर लगातार गश्त की जा रही है और हर श्रद्धालु की जांच कड़ी कर दी गई है। बावजूद इसके, भय का माहौल अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। “हमने सुरक्षा उपायों को और भी सख्त किया है। यात्रा मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे, मेटल डिटेक्टर और सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई गई है। हम यात्रियों से निवेदन करते हैं कि अफवाहों से बचें और यात्रा के लिए डरें नहीं।”
हालांकि कुछ श्रद्धालु अब भी मां के दर्शन के लिए आ रहे हैं। दिल्ली से आए एक श्रद्धालु अजय वर्मा ने कहा, “हम हर साल यहां आते हैं और मां की कृपा से सुरक्षित रहते हैं। डर से घर बैठना कोई समाधान नहीं है। हम पूरी आस्था और विश्वास के साथ आए हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक भारत-पाकिस्तान के बीच स्थिति सामान्य नहीं होती और पहलगाम जैसे इलाकों में पूर्ण शांति नहीं लौटती, तब तक धार्मिक पर्यटन की बहाली मुश्किल हो सकती है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर प्रयास कर रही हैं, लेकिन लोगों का भरोसा दोबारा जीतने में समय लग सकता है।