कोटालपोखर: सदर प्रखंड के डिहारी गांव के ग्रामीणों ने सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन और मकान के बदले कम मुआवजा मिलने का आरोप लगाते हुए रविवार को सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि उनका घर और जमीन फोर लेन सड़क निर्माण में आ गया है, जिसे वे विकास कार्य के लिए खुशी-खुशी देने को तैयार हैं, लेकिन बदले में मिलने वाला मुआवजा बेहद कम व पुराना बताया जा रहा है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उन्हें वर्ष 2022 के मूल्यांकन के आधार पर मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि जमीन और निर्माण सामग्री के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2025 के वर्तमान दर से मुआवजा मिलना चाहिए, तभी वे पुनर्निर्माण कर सकेंगे।
ग्रामीण विष्णु यादव ने बताया कि विभाग द्वारा पहले कराई गई जमीन की पैमाइश के बाद उसे तीन मीटर और बढ़ा दिया गया, लेकिन उस हिस्से के मुआवजे को लेकर विभाग कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की जमीन या भवन का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अधिग्रहित हो जाता है, तो पूरी संपत्ति लेनी चाहिए। लेकिन यहां अधिकांश घरों का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा नापी में आ जाने के बावजूद केवल कुछ हिस्सा अधिग्रहित किया गया है, जो गलत है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि विभाग द्वारा घरों में बने कुर्सी, शेड आदि संरचनाओं का मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। कई ग्रामीणों ने कहा कि डीप बोरिंग के लिए मात्र 40 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि इसकी लागत लाखों रुपये आती है। कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि विभाग सरकारी जमीन पर निर्माण होने का हवाला देकर मुआवजा देने से इंकार कर रहा है, जबकि कई स्थानों पर ऐसी स्थिति में भी एकमुश्त भुगतान किया गया है।
ग्रामीण आनंद कुमार सिंह ने कार्यस्थल अभियंता अभिषेक कुमार पर सुविधा शुल्क मांगने का गंभीर आरोप भी लगाया है। उनका कहना है कि वे कई दिनों से विभाग का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बिना सुविधा शुल्क काम नहीं किया जा रहा है।
प्रदर्शन में आनंद कुमार सिंह, सियाराम महतो, जीछु रविदास, सुबोध कुमार, विष्णु यादव, राम अवतार, शंकर महतो, कृष्णा महतो, सोनी देवी, रूपा देवी, रुका देवी, सुनीता देवी, सबीता देवी सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद रहे।