
नई दिल्ली/जमशेदपुर, 25 मई
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज झारखंड की धरती से देशवासियों को एक मजबूत संदेश देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भर भारत और युवा कौशल विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे। सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्लेटिनम जुबली समारोह में विशेष अतिथि के तौर पर बोलते हुए उन्होंने भारत के बदलते वैश्विक रुख, मजबूत होती रक्षा क्षमता और औद्योगिक विकास की दिशा में सरकार की नीतियों को साझा किया।
अपने उद्बोधन की शुरुआत में श्री बिरला ने देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे सशस्त्र बलों के शौर्य, साहस और समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा, “भारत को अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है। वे न केवल हमारी रक्षा करते हैं, बल्कि हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक हैं। यदि कोई देश या आतंकवादी संगठन भारत में आतंक फैलाने की कोशिश करेगा, तो उसे ऑपरेशन सिंदूर से भी अधिक गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत आज न केवल आतंरिक सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद के विरुद्ध एक दृढ़ संदेश दे रहा है।
झारखंड की धरती को किया नमन
लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर झारखंड की यह उनकी पहली यात्रा थी। रांची पहुंचने पर बिरसा चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्होंने आदिवासी समुदाय के स्वाभिमान, संघर्ष और योगदान को सलाम किया। उन्होंने बिरसा मुंडा संग्रहालय का भी दौरा किया और कहा, “यह धरती बिरसा मुंडा और जमशेदजी टाटा जैसे प्रेरणास्रोतों की जन्मस्थली रही है। एक ने आदिवासी सम्मान के लिए बलिदान दिया, तो दूसरे ने स्वतंत्रता से पहले ही औद्योगिक भारत का सपना देखा।”
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति
श्री बिरला ने भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में हो रही प्रगति का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जो देश कभी आयात पर निर्भर था, आज रक्षा उपकरणों का निर्माण और निर्यात कर रहा है। उन्होंने इस परिवर्तन को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और नवाचार समर्थित नीतियों का परिणाम बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि एमएसएमई और उद्योग क्षेत्र को अब देश की रक्षा ताकत मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर मिल रहा है। इससे न केवल देश की सुरक्षा सुदृढ़ हो रही है, बल्कि रोजगार और आर्थिक विकास को भी गति मिल रही है।
विकसित भारत 2047: युवाओं और तकनीक पर बल
श्री बिरला ने कहा कि देश का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाया जाए। इसके लिए हमें प्रौद्योगिकी, प्रतिस्पर्धा और कौशल विकास को अपनाना होगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा युवा कार्यबल है। आज प्रतिस्पर्धा केवल वस्तुओं या सेवाओं में नहीं है, बल्कि प्रतिभा और नवाचार में है। भारतीय युवा अब वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर हैं।”
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे कौशल विकास, नवाचार और वैश्विक साझेदारी में निवेश करें और भारत को सतत एवं समावेशी विकास का प्रतीक बनाएं।
शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार का नया युग
नई शिक्षा नीति के माध्यम से हो रहे परिवर्तन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब IIT और AIIMS जैसे संस्थानों को वैश्विक अनुसंधान केंद्रों में तब्दील किया जा रहा है। ये संस्थान अब उद्योगों से जुड़कर व्यावहारिक और अभिनव समाधान विकसित कर रहे हैं, जिससे एक नया इकोसिस्टम तैयार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत को सूचना प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा, रक्षा तकनीक और उन्नत निर्माण जैसे क्षेत्रों में वैश्विक अग्रणी बनाने का समय आ गया है। इसके लिए बड़े औद्योगिक घरानों के साथ-साथ नवाचारशील स्टार्टअप्स को भी समर्थन देना होगा।
सिंहभूम चैंबर की भूमिका को सराहा
इस ऐतिहासिक अवसर पर श्री बिरला ने सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की 75 वर्षों की उपलब्धियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस चैंबर ने उद्यमियों, व्यापारियों और औद्योगिक संस्थानों को एक साथ लाकर क्षेत्र के आर्थिक विकास को दिशा दी है।
उन्होंने चैंबर से आग्रह किया कि वह केवल एक प्रतिनिधि संस्था नहीं बल्कि एक लोकतांत्रिक संवाद का मंच बने, जहाँ सरकार, निजी क्षेत्र और सिविल सोसाइटी मिलकर औद्योगिक नीतियों का निर्माण करें।
अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ, पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, सांसद श्री बिद्युत बरन महतो, और झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष श्री रविंद्र नाथ महतो सहित कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। रांची हवाई अड्डे पर श्री बिरला का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया, जहाँ राज्य मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी अगुवाई की।
श्री ओम बिरला का यह दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं था, बल्कि एक स्पष्ट और प्रेरक संदेश था कि भारत अब हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है—चाहे वह रक्षा हो, शिक्षा हो, उद्योग हो या युवा शक्ति।
राष्ट्रीय सुरक्षा, औद्योगिक विकास, युवा प्रतिभा और तकनीकी नवाचारों को केंद्र में रखकर दिए गए उनके विचार न केवल प्रेरणास्पद थे, बल्कि भारत के उज्जवल भविष्य की नींव को और मजबूत करते हैं।
भारत अब केवल एक उभरती हुई शक्ति नहीं, बल्कि एक निर्णायक वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की ओर अग्रसर है।