कोटाल पोखर। बरहरवा प्रखंड के प्रसिद्ध बड़ी काली मंदिर (कलीतला, बरहरवा) में चार दिवसीय काली पूजा महोत्सव का शुभारंभ 18 अक्टूबर से तांत्रिक विधि-विधान के साथ होगा।
ज्ञात हो कि इस मंदिर की स्थापना सन 1865 में तत्कालीन महेशपुर स्टेट की रानी ज्योतिर्मयी देवया द्वारा की गई थी। ग्रामीणों के अनुसार, इस स्थान पर 1865 से पहले भी पूजा-अर्चना होती थी। उस समय यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा था, और दूर-दूर से श्रद्धालु अमावस्या के दिन यहां पूजा करने पहुंचते थे।
2019 में हुआ पुनर्निर्माण
पूर्व में मंदिर काफी जर्जर अवस्था में था। वर्ष 2019 में बरहरवा वासियों के सहयोग से इसका पुनर्निर्माण कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की तर्ज पर कराया गया। अब यह मंदिर क्षेत्र का प्रमुख धार्मिक एवं आकर्षण का केंद्र बन चुका है। प्रत्येक अमावस्या को यहां विशेष पूजा और माता रानी को बलि दी जाती है।
चार दिवसीय पूजन उत्सव कार्यक्रम
मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष पांचो सिंह ने बताया कि इस वर्ष भी पूजा तांत्रिक विधि-विधान के साथ होगी। इसके लिए कोलकाता, कालीघाट, कामाख्या मंदिर, तारापीठ व ऋषिकेश से ब्राह्मण और तांत्रिक पहुंच रहे हैं।
काली पूजा के कार्यकारी अध्यक्ष सिंटू शाह ने बताया—
- 18 अक्टूबर: कलश यात्रा व अभिषेक, पूजा-हवन और भंडारा।
- 19 अक्टूबर: भंडारा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम।
- 20 अक्टूबर: अमावस्या की रात्रि में काली पूजा।
- 21 अक्टूबर: मेला की पूर्णाहुति व महाप्रसाद वितरण, बच्चों के लिए खेलकूद प्रतियोगिता।
सुरक्षा और तैयारी
पूरे आयोजन को सफल बनाने के लिए अमन राय, अनूप शाह, नंदिनी शाह, सिंटू शाह, आकाश, भास्कर, रोनित, विनीत, राजा, सौरभ, चांद, सूरज, देव, राजेश, राकेश, ऋतिक, विशाल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण तैयारी में जुटे हुए हैं।