
भारत सरकार आपातकालीन स्थितियों से निपटने की तैयारी को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से एक बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल आयोजित करने जा रही है। यह अभ्यास विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे चार महत्वपूर्ण राज्यों—जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात और पंजाब—में किया जाएगा। इस मॉकड्रिल का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को किसी भी संभावित आपदा या युद्ध जैसी स्थिति में सुरक्षित रहने, त्वरित प्रतिक्रिया देने और आवश्यक प्राथमिक सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए प्रशिक्षित करना है।
क्या होगा मॉकड्रिल में?
सरकार द्वारा जारी प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मॉकड्रिल के दौरान पूरे क्षेत्र में सायरन बजाया जाएगा, जिससे लोगों को आपात स्थिति का अहसास कराया जाएगा। ब्लैकआउट यानी पूर्ण अंधेरा कर दिया जाएगा ताकि बिजली कटौती की स्थिति में भी लोग अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। यह अभ्यास ठीक उसी प्रकार किया जाएगा, जैसे किसी असली आपातकाल के दौरान किया जाता है।
इस मॉकड्रिल में सुरक्षा एजेंसियां, राज्य आपदा प्रबंधन बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), स्थानीय पुलिस, होम गार्ड्स और मेडिकल टीमें मिलकर हिस्सा लेंगी। साथ ही, स्थानीय प्रशासन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
किस तरह की स्थितियों के लिए होगी तैयारी?
इस ड्रिल का उद्देश्य सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों को युद्ध जैसी स्थिति, आतंकी हमले, रासायनिक या जैविक हमले, और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप या बाढ़ से निपटने के लिए तैयार करना है। इस दौरान नागरिकों को यह सिखाया जाएगा कि कैसे सुरक्षित स्थानों पर जाना है, कौन से जरूरी सामान साथ रखना है, और किस प्रकार सरकारी एजेंसियों की मदद ली जा सकती है।
विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को, जहां सूचना और संसाधनों की सीमाएं होती हैं, ऐसी आपात स्थितियों में जीवित रहने और दूसरों की सहायता करने के गुर सिखाए जाएंगे।
ब्लैकआउट और सायरन का क्या महत्व है?
ब्लैकआउट और सायरन की प्रक्रिया मॉकड्रिल का एक अहम हिस्सा होती है। सायरन बजने से लोगों को सतर्क रहने और त्वरित प्रतिक्रिया देने की आदत पड़ती है, वहीं ब्लैकआउट के माध्यम से यह समझाया जाता है कि बिजली गुल हो जाने पर कैसे सुरक्षित रहना है। कई बार युद्ध या आतंकी हमले की स्थिति में शहरों में बिजली आपूर्ति बंद कर दी जाती है ताकि दुश्मन हवाई हमले न कर सके। ऐसे में अंधेरे में अपनी सुरक्षा करना और सही दिशा में निकलना एक चुनौती होती है।
सरकार की मंशा क्या है?
भारत सरकार का उद्देश्य है कि हर नागरिक, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग, किसी भी अप्रत्याशित परिस्थिति में घबराएं नहीं और पहले से प्रशिक्षित रहें। इस मॉकड्रिल को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें “सिविल डिफेंस” यानी नागरिक सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
इसके माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारें यह भी जांचेंगी कि मौजूदा आपातकालीन योजनाएं कितनी प्रभावी हैं और उनमें क्या सुधार की आवश्यकता है।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
चारों राज्यों के जिला प्रशासन ने मॉकड्रिल को सफल बनाने के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। स्कूलों, पंचायत भवनों, सामुदायिक केंद्रों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पहले से ही जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे घबराएं नहीं और इस ड्रिल को गंभीरता से लें, ताकि वास्तविक स्थिति में वे खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें।