
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान संपन्न हो चुका है, और इस बार राजधानी में कुल 60.45% मतदान हुआ। यह प्रतिशत 2008 के बाद सबसे कम है, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि इस बार मतदाताओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही। इस चुनाव में 699 प्रत्याशियों का राजनीतिक भविष्य ईवीएम में कैद हो चुका है, और अब सभी की निगाहें 8 फरवरी को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं।
2008 के बाद सबसे कम मतदान प्रतिशत
दिल्ली में 2008 में 57.58% मतदान हुआ था, जबकि 2013 में यह बढ़कर 65.63% और 2015 में 67.47% तक पहुंच गया था। 2020 में भी 62.59% लोगों ने वोट डाला था। लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में गिरावट देखी गई, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर मतदाता चुनाव के प्रति क्यों उदासीन दिखे।
28 विधानसभा क्षेत्रों में 60% से भी कम वोटिंग
दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में से 28 सीटों पर मतदान का प्रतिशत 60% से भी कम रहा। सबसे कम मतदान वाले क्षेत्रों में दिल्ली कैंट, ग्रेटर कैलाश, आरके पुरम, नई दिल्ली, और मटियाला शामिल रहे। वहीं, उत्तर पूर्वी और बाहरी दिल्ली के कुछ इलाकों में अपेक्षाकृत अधिक वोटिंग हुई।
किन कारणों से कम रहा मतदान?
विश्लेषकों के अनुसार, इस बार दिल्ली में कम मतदान के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- राजनीतिक उत्साह में कमी: इस बार चुनाव प्रचार में पहले जैसी ऊर्जा नहीं दिखी, जिससे मतदाता उत्साहित नहीं हुए।
- सप्ताहांत और अवकाश का प्रभाव: चुनाव शनिवार को हुआ, जिससे कई मतदाता अपने गृह राज्यों या अन्य स्थानों पर चले गए।
- परिवहन और जाम की समस्या: कुछ क्षेत्रों में लोग लंबी कतारों और ट्रैफिक की वजह से मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए।
- युवा मतदाताओं की उदासीनता: पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं में मतदान को लेकर ज्यादा रुचि नहीं दिखी।
- जलवायु परिस्थितियां: दिन के समय हल्की गर्मी और सुबह-सुबह ठंड के कारण कई लोग घरों से नहीं निकले।
सबसे ज्यादा और सबसे कम मतदान वाले क्षेत्र
सबसे अधिक मतदान:
- सीमापुरी – 72.14%
- गोकलपुरी – 71.56%
- मुस्तफाबाद – 70.91%
सबसे कम मतदान:
- दिल्ली कैंट – 52.34%
- ग्रेटर कैलाश – 54.21%
- नई दिल्ली – 55.67%
नेताओं की प्रतिक्रिया
कम मतदान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता ने कहा कि जनता ने अपना वोट “विकास और काम” के मुद्दे पर दिया है, और कम मतदान का असर नतीजों पर नहीं पड़ेगा। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे मतदाताओं की नाराजगी करार दिया और कहा कि कम मतदान का सीधा लाभ उन्हें मिलेगा। कांग्रेस ने भी कम मतदान पर चिंता जताई और कहा कि यह दिल्ली की राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं है।
मतदान के बाद आगे की प्रक्रिया
अब जब मतदान पूरा हो चुका है, तो सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की नजरें 8 फरवरी को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। मतगणना सुबह 8 बजे शुरू होगी और दोपहर तक रुझान साफ हो जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है, जिसमें AAP, BJP, और कांग्रेस अपनी दावेदारी पेश करेंगी।
दिल्ली की जनता ने अपना फैसला कर लिया है, अब देखना यह होगा कि किस पार्टी को राजधानी की सत्ता सौंपने का जनादेश मिलता है।