
जामताड़ा, झारखंड। साइबर अपराध की राजधानी मानी जाने वाली जामताड़ा से एक और बड़ा मामला सामने आया है। साइबर सेल ने 10 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड सहित कुल 6 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये गिरोह देशभर में फैला हुआ था और करीब 400 से अधिक साइबर वारदात को अंजाम देकर हजारों पीड़ितों को अपना शिकार बना चुका था।
कैसे अंजाम देते थे साइबर ठगी?
गिरोह एपेक फाइल (APK File) के माध्यम से ठगी करता था। ये अपराधी मोबाइल पर एक एपेक फाइल का मैसेज भेजते थे और उसे क्लिक करने के लिए प्रेरित करते थे। जैसे ही पीड़ित उस फाइल को क्लिक करता था, उसका पूरा डेटा अपराधियों के पास पहुंच जाता था। इसके बाद वे बिना ओटीपी के ही पीड़ित के बैंक खाते से पैसे निकाल लेते थे।
गिरोह ने नेशनलाइज्ड बैंकों के खातों की डिटेल्स के साथ-साथ पीएम किसान योजना और फसल बीमा योजना के लाभार्थियों की जानकारी भी जुटा रखी थी। उनकी कार्यशैली इतनी संगठित थी कि वे लोगों को झांसे में लेकर उनकी पूरी वित्तीय जानकारी हड़प लेते थे।
गिरफ्तार अपराधियों के नाम और बरामद सामग्री
गिरफ्तार अपराधियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- मोहम्मद महबूब आलम
- सफाउद्दीन अंसारी
- आरिफ अंसारी
- जैस्मिन अंसारी
- शेख बिलाल
- अजय मंडल
इनके पास से निम्नलिखित सामग्री बरामद हुई:
- 14 मोबाइल फोन
- 23 सिम कार्ड
- 1 ड्रोन कैमरा
- 1 डीएसएलआर कैमरा
- 2 चार पहिया वाहन
- 10 एटीएम कार्ड
- करीब 1 लाख रुपये नकद
गिरोह का नेटवर्क और अपराध का दायरा
जांच में पता चला है कि ये अपराधी गिरिडीह, जामताड़ा, सारठ, धनबाद और देवघर जिलों में सक्रिय थे। पकड़े गए अपराधियों ने अब तक 415 साइबर अपराधों को अंजाम दिया है, जिनसे करीब 10 करोड़ रुपये की ठगी की गई। उनके जब्त किए गए मोबाइल से 2,700 से अधिक पीड़ितों की जानकारी प्राप्त हुई है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार
साइबर सेल की इस सफलता ने इस गिरोह के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संपर्कों का संकेत भी दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड सीआईडी की तकनीकी सहायता टीम ने गृह मंत्रालय और भारतीय साइबर अपराध समन्वय से सहयोग मांगा है। ताकि मामले की गहराई से जांच की जा सके और इसमें जुड़े अन्य अपराधियों तक पहुंचा जा सके।
पुलिस के लिए बड़ी सफलता
जामताड़ा एसपी एहतेशाम वकारीब ने इस गिरफ्तारी को पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता करार दिया है। उन्होंने बताया कि यह गिरोह पीड़ितों को एपेक लिंक भेजकर उनके मोबाइल का पूरा डेटा प्राप्त कर लेता था। इसके बाद वे खाते से पैसे निकालने के लिए ओटीपी की भी जरूरत नहीं पड़ने देते थे।
एसपी ने बताया कि इस गिरोह ने कई छद्म प्रोफाइल बनाए थे, जैसे अजय मंडल, शेख बिलाल, और मोहम्मद महबूब। गिरोह की गतिविधियां इतनी परिष्कृत थीं कि वे नेशनलाइज्ड बैंकों की महत्वपूर्ण जानकारी और सरकारी योजनाओं की डिटेल्स को भी हैक कर लेते थे।
अपराधियों की कार्यशैली का खुलासा
गिरोह के सदस्यों ने न केवल लोगों की बैंकिंग जानकारी चोरी की, बल्कि सरकारी योजनाओं से संबंधित डिटेल्स जैसे कि पीएम किसान योजना और फसल बीमा योजना के डेटा का भी दुरुपयोग किया। इनके पास से बरामद मोबाइल और अन्य उपकरणों से उनके विस्तृत नेटवर्क का खुलासा हुआ है।
गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी
पुलिस ने कहा कि गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान कर ली गई है, और उन्हें पकड़ने के लिए प्रयास जारी हैं। इस मामले में जल्द ही और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
झारखंड में बढ़ता साइबर अपराध और चुनौती
झारखंड, विशेषकर जामताड़ा, साइबर अपराध का गढ़ बन चुका है। यहां के युवाओं द्वारा साइबर अपराध को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने की बढ़ती प्रवृत्ति सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालांकि, झारखंड पुलिस और साइबर सेल द्वारा लगातार इन अपराधियों को पकड़ने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा और कानूनी कार्रवाई
इस मामले की गहनता को देखते हुए, गृह मंत्रालय और भारतीय साइबर अपराध समन्वय से विशेष तकनीकी सहायता ली जा रही है। पकड़े गए अपराधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके।
नागरिकों के लिए सतर्कता जरूरी
इस तरह के मामलों से सीख लेते हुए, नागरिकों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। अनजान लिंक और मैसेज पर क्लिक न करें, किसी के साथ बैंकिंग जानकारी साझा न करें, और साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें।
जामताड़ा साइबर सेल की यह कार्रवाई देशभर में फैले साइबर अपराध पर कड़ा प्रहार है। इस गिरफ्तारी ने न केवल एक बड़े गिरोह का खुलासा किया है, बल्कि अन्य अपराधियों को भी कड़ा संदेश दिया है कि कानून के शिकंजे से बचना मुश्किल है।