आदिवासी नेताओं को कोई मतलब नहीं, सभी कर रहे हैं वोट बैंक की राजनीति
बसंत कुमार गुप्ता व्यूरो प्रमुख गुमला।
झारखंड अधिविध परिषद राँची जैक द्वारा कक्षा अठवी नवमी दशमी ग्यारहवीं बारहवीं कक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों के लिए अन्य का काँलम रखा गया था जो आदिवासी बच्चे अन्य काँलम पर टीक लगाते थे आदिवासी के लिए धर्म काँलम नहीं होने के कारण अन्य का बिकल्प था लेकिन केंद्र सरकार ने ये अन्य काँलम भी हटा दिया है अब आदिवासी बच्चे को धर्म काँलम का कोई विकल्प नहीं दिख रहा है इससे आदिवासी समुदाय के बच्चे के लिए चिंतन की बात है लेकिन आज सत्ता पक्ष या विपक्ष का कोई नेता इस पर संज्ञान नही ले रहे हैं कया झारखंड में आदिवासी नेता पैदा नहीं लिए का कया यहाँ के नेता आदिवासी से वोट लेने के लिए भर नेता बन कर बैठे है हमारे आदिवासी समाज के शिक्षाविद लोगों द्वारा जैक से सवाल करने पर केंद्र सरकार का आदेश बता रहे हैं लेकिन हमारे यहाँ के एक ही नेत्री है श्रीमती गिता श्री उरांव के द्वारा विशेष संज्ञान ले रहीं बाकी सत्ता या बिपक्ष का नेता घोड़ा बेच कर सो रहे हैं कया समझ में नहीं आता है जब चुनाव का सुगबुगाहट आते आते सभा करने लग जाते हैं , आदिवासी समाज के युवा नेता सुकरु उरांव ने कहा कि चुनाव आते ही नेता गांव में आ धमकते हैं, लेकिन आदिवासी समाज के अस्तित्व पर वह चुपचाप बैठे हैं।