
प्रेम कुमार साहू,
गुमला:- घाघरा प्रखंड अंतर्गत देवाकी पंचायत के ग्राम कुसुम टोली में मंगलवार को फसल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत एक किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को फसल सुरक्षा के उपायों के प्रति जागरूक करना और उन्हें वैज्ञानिक पद्धतियों के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ाने की जानकारी प्रदान करना था।
गोष्ठी में प्रखंड तकनीकी पदाधिकारी नीरज सिंह ने किसानों को खेतों में लगी फसलों के पौधों को मौसम के अनुसार सुरक्षित रखने के विभिन्न उपायों की जानकारी दी। उन्होंने किसानों को बताया कि किस प्रकार से बदलते मौसम के अनुरूप फसल संरक्षण किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि फसलों में समय-समय पर आवश्यक विटामिन और कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए ताकि फसलें बीमारियों और कीटों से सुरक्षित रह सकें।
फसल सुरक्षा के लिए सुझाव:
- नियमित निरीक्षण: किसानों को सलाह दी गई कि वे अपनी फसलों की नियमित रूप से जांच करें ताकि किसी भी प्रकार की बीमारी या कीट हमले का समय रहते पता लगाया जा सके।
- संतुलित पोषण: पौधों की वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यक विटामिन और उर्वरकों का संतुलित उपयोग करने की सलाह दी गई।
- कीटनाशक एवं जैविक उपाय: रासायनिक कीटनाशकों के अलावा जैविक कीटनाशकों के उपयोग को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई गई।
- जल प्रबंधन: फसलों की सिंचाई की सही तकनीक अपनाने से जल संरक्षण किया जा सकता है और इससे पैदावार भी बढ़ती है।
- मिट्टी परीक्षण: किसानों को बताया गया कि मिट्टी की गुणवत्ता जांचकर ही उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए ताकि उपज में सुधार हो सके।
गोष्ठी में उपस्थित बीटीएम नीरज सिंह, एटीएम शुभम मिंज, ऋतु किंडो, पूनम, एवं प्रदान संस्था से रोशन दुबे ने भी किसानों को महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने किसानों को नई कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताया, जिससे वे अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।
गांव के सैकड़ों किसानों ने इस गोष्ठी में भाग लिया और फसल सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं। किसानों ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इससे उन्हें खेती के आधुनिक तरीकों को अपनाने में मदद मिलेगी और वे अपनी फसलों को बेहतर ढंग से सुरक्षित रख सकेंगे।
इस किसान गोष्ठी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने का सफल प्रयास किया गया, जिससे भविष्य में किसान अपनी खेती को अधिक उन्नत और उत्पादक बना सकें।