आसान नहीं है रांची के एस अली होना।
अमीन अंसारी,
रांची:- एसअली (शमीमअली) का नाम ही काफी है सरकारी विभागों में भय पैदा करने के लिए ।
जिनके आंदोलन से JPSC न्युक्ति घोटाले, विधानसभा न्युक्ति घोटाले का पर्दाफाश हुआ,
स्थानीय नीति की बात हो या झारख़डी युवाओं के मुद्दे हर जगहा अग्रणी भूमिका में सवाल उठाया।

सरकारी शिक्षा में कई सुधार अभियान चलाकर करवाया, जिनके प्रयास और आंदोलन से ही 2012-2014 में +2 स्कूलों और हाई स्कूलों में शिक्षक बहाली, 2015 और 2016 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में 16 हजार शिक्षकों की बहाली, 2017 में +2 स्कूलों और 2019 हाई स्कूलों में शिक्षकों की बहाली हुई, सचिवालय सहायक हो या दारोगा बहाली या फिर जैप पुलिस बहाली या फिर टेट परीक्षा या दूसरे बहालियो के नियमवली में सुधार करवाने का आंदोलन किया।
आदिवासी भाइयों के सरना धर्म कोड का आंदोलन हो या दलित पिछड़ा वर्ग के छात्रवृत्ति के मुद्दे। मदरसों का मामला या उर्दू के मामलें या फिर अल्पसंख्यकों के अधिकार का सवाल हो या हज या वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम या मांबलींचिग की घटना हो आवाज उठाने में देर नही किया।
सरकारी सिस्टम के खिलाफ लड़ने के कारण पुलिस केस के साथ तीन बार जेल भी जाना पड़ा। इन्होंने झारख़डी युवाओं के अधिकार के सवाल पर राजभवन के समक्ष खुद पर मिट्टी तेल डाल कर आग लगाने का प्रयास किया।
कई मुद्दों पर इन्होंने सरकार के खिलाफ अभियान चलाकर विपक्ष की भूमिका निभाया।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका और रिट कर लोकायुक्त और मानव अधिकार आयोग का गठ़न करवाया।
आरटीआई अवार्ड और कई पुरस्कार और सम्मान पाने के बावजूद जनहित में काम करना नही छोड़ा, ऐसे कई कारनामें है इनके नाम इनकाअभियान जारी है।