
रांची से अजीत कुमार की रिपोर्ट,
- देशभर में 71 स्थानों पर तथा रांची के माहेश्वरी भवन, सेवा सदन में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !
- रामराज्य के लिए साधना करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार,अनैतिकता और अराजकता से लड़ना चाहिए! – श्री शंभू गवारे, पूर्व – पूर्वोत्तर भारत राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
रांची :- व्यक्तिगत जीवन में साधना करने से अंतरात्मा में रामराज्य की स्थापना होगी; परंतु सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन में रामराज्य की स्थापना के लिए हमें अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाने के साथ-साथ भ्रष्टाचार, अनैतिकता और अराजकता के विरुद्ध लड़ना होगा। हमारे विचार और व्यवहार हिंदू संस्कृति के अनुकूल होने चाहिए। ‘हैलो’ नहीं, बल्कि नमस्कार या ‘राम-राम’ कहना, यह हमारी संस्कृति है; ‘टीवी’ पर धारावाहिक देखना नहीं, बल्कि ‘कीर्तन-भजन’ देखना, यह हमारी संस्कृति है; कोई अभिनेता नहीं, बल्कि राम-कृष्ण हमारे संस्कृति द्वारा दिए गए आदर्श हैं। हमारे आचरण और व्यवहार में हम संस्कृति की रक्षा करें। धर्म का पालन करें, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति ओर से श्री शंभू गवारे जी ने किया।

रांची के माहेश्वरी भवन, सेवा सदन में गुरु पूर्णिमा महोत्सव भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ । देशभर में 71 स्थानों पर ‘गुरु पूर्णिमा महोत्सव’ मनाया गया । इस कार्यक्रम में उपस्थित श्री चंद्रकांत रायपत जी, अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद, झारखंड ने मार्ग दर्शन करते हुए जीवन में गुरू की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि गुरु के बगैर जीवन में ज्ञान का प्रकाश प्राप्त होना बहुत ही कठिन है। हमारी भारतीय संस्कृति में गुरूकुल शिक्षा प्रणाली रही है जिसमें समाज के हर वर्ग के लिए सरल, गुणकारी और आध्यात्म आधारित शिक्षा दी जाती थी, जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता था। सतयुग में शिव पार्वती गुरू रूप में रहे हैं और उन दिनों समाज कितना प्रगति पर था, त्रेतायुग में शबरी ने भगवान श्रीराम को गुरू रुप में स्वीकार कर साधना की। इसी तरह द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण को अर्जुन ने सखा एवं गुरु रुप में स्वीकार कर श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान प्राप्त कर माया के अज्ञान से मुक्त होकर भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों व आज्ञा से कर्म पथ पर अग्रसर होकर धर्म संस्थापना का महति कार्य करते हुए अधर्म का नाश कर धर्म स्थापना के कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाया। महोत्सव की शुरुआत श्री व्यासपूजा और प.पू. भक्तराज महाराज की प्रतिमा पूजा से हुई। देश-विदेश के भक्तों को गुरुपूर्णिमा का लाभ मिल सके इसके लिए हिंदू जनजागृति समिति द्वारा कन्नड़ और बंगाली भाषाओं में ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव भी संपन्न हुए।