- संस्थागत स्वरूप के साथ प्रस्तुति ही असल समाचार : सरयू राय।
- मजाक बनने के बाद भी हौसला बुलंद हैं यह बड़ी बात : संजय मिश्रा।
जमशेदपुर:-पत्रकार एकता मंच, कोल्हान के बैनर तले खासमहल क्षेत्र स्थित श्रीमहल बैंक्वेट हॉल में ” डिजिटल युग में पत्रकारिता की चुनौतियां ” विषयक परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें कोल्हान के पत्रकारों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विधायक सरयू राय, विशिष्ट अतिथि प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्रा, पत्रकार डॉ राजेश लाल दास, प्रमोद झा , परसूडीह थाना प्रभारी, बागबेड़ा थाना प्रभारी समेत अन्य मौजूद थे।
अतिथियों के हाथों दीप प्रज्जवलन के साथ परिचर्चा का शुभारंभ हुआ। वहीं संगठन की ओर से तमाम अतिथियों को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान कोल्हान समाचार लाइव का लोकार्पण प्रभात खबर के संपादक संजय मिश्रा एवं विधायक सरयू राय समेत अन्य के हाथों लैपटॉप पर बटन दबाकर हुआ। कार्यक्रम का संचालन मंच के महासचिव सुनील पांडेय ने किया।
कार्यक्रम में विधायक सरयू राय ने कहा कि डिजिटल युग में हर आदमी पत्रकार हो गया है। लेकिन ऐसा है नहीं । कोई भी डिजिटल माध्यम से कुछ भी प्रसारित कर देगा तो वह खबर नहीं हो सकता है। संस्थागत स्वरूप के साथ प्रस्तुति ही खबर / समाचार कहलाता है। उन्होंने उदाहरण से एआई के दुरूपयोग पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छपे हुए अखबार का आकर्षण एवं विश्वसनीयता आज भी सुंदर है।
यही कारण है कि लोग प्रकाशित खबरों पर भरोसा ज्यादा करते हैं। उन्होंने खबरों एवं पत्रकारों को लेकर सबों के प्रति एक जैसी धारणा नहीं बनाने पर जोर दिया। उन्होंने जनसरोकार की खबरों को तब्बजो देने की वकालत की।
प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्रा ने डिजिटल युग में पत्रकारिता की चुनौतियां विषयक परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि वक्त के साथ चलिए तभी आप टिके रहेंगे। आज कोई है जो डिजिटल के दौर को रोक लें । बल्कि इस डिजिटल दौर ने तो कईयों की नौकरियां बचा ली है। इस दौर ने तो संपादकों की दादागिरी खत्म की है। इस डिजिटल दौर के कारण ही कई ऐसे हैं जो दिनभर चादर तानकर सोते हैं और शाम को मोबाइल पर व्हाट्स एप ग्रुप देख खबर लिखते हैं ।
आगे उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के खिलाफ यदि हम खड़ा होंगे तो हम रह नहीं पाएंगे। बड़े-बड़े मीडिया हाऊस जो पूंजीपति है वो क्रांति करने के लिए हमें पैसा नहीं देती है। वो तो अपने इस्तेमाल के लिए अखबार निकालता है। काम हो गया अखबार बंद। ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं। बड़े – बड़े मीडिया हाउसों ने ऐसा किया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता अच्छी चीज है।
कब कौन पत्रकार नेता बन जाएगा , कोई नहीं जानता है । उन्होंने सरयू राय एवं हरिवंश जी का उदाहरण देते हुए इसे स्पष्ट किया। उन्होंने 1956 से पहले बने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि तब के दौर में यह नियम बना था कि पत्रकार चाहे जिस भी हाऊस में काम करें परंतु वेतन सरकार निर्धारित करेगी। फिर 1966 में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया बना।
उसी के याद में राष्ट्रीय प्रेस दिवस हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन हमें खुद के अंदर झांकने की जरूरत है। आलोचक और विवेचना करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस डिजिटल दौर में सोशल मीडिया को फिफ्थ पीलर ऑफ सोसायटी कहा गया । उन्होंने परिचर्चा को जारी रखते हुए आगे कहा कि आज मजाक बनने के बाद भी हौसला बुलंद हैं तो यह बड़ी बात है।
जो ईमानदारी से पत्रकारिता कर रहें हैं उन्हें तमाम तरह की परेशानियां हैं। फिर भी हम यह सकते हैं कि जिन लोगों ने पत्रकारिकता को बेच रखा है उससे दूरी बनाए रखें। आप ज्यादा सुकून में रहेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रेस दिवस पर यह चिंतन करने की जरूरत है कि हम कहां है ? और हमें जाना कहां है? कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। अंत में पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पत्रिकाओं को सम्मानित भी किया गया।