
रांची। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने पूरे देश में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराने का निर्णय लिया है। यह मॉक ड्रिल बुधवार, 7 मई को आयोजित की जाएगी। झारखंड में यह अभ्यास पांच जिलों के छह स्थानों पर किया जाएगा। रांची, जमशेदपुर, गोड्डा और साहिबगंज में एक-एक स्थान पर तथा बोकारो जिले के दो स्थानों—बोकारो और गोमिया—में इसका आयोजन होगा।
इस राष्ट्रीय स्तर की मॉक ड्रिल का उद्देश्य युद्ध या आपात स्थिति के दौरान नागरिकों को सतर्कता और सुरक्षा की बुनियादी जानकारी देना है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को इस ड्रिल के आयोजन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत राज्य सरकारें चाहें तो स्थानों की संख्या बढ़ा सकती हैं, लेकिन झारखंड में इस बार केवल छह स्थानों पर ही मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
झारखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश भेज दिए हैं। विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने बताया कि सभी उपायुक्त मॉक ड्रिल के स्थान और समय का चयन स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कर सकते हैं। रांची जिले में यह ड्रिल डोरंडा थाना क्षेत्र में शाम करीब चार बजे शुरू होगी।
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल में हवाई हमले की स्थिति का अभ्यास किया जाएगा। इस दौरान चेतावनी देने वाले सायरन बजेंगे और ब्लैकआउट की स्थिति बनाई जाएगी, जिसमें सभी लाइटें बंद कर दी जाएंगी। इसके बाद नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का अभ्यास कराया जाएगा। यह अभ्यास युद्ध जैसी आपात परिस्थितियों में जान-माल की रक्षा के लिए जरूरी समझा जाता है।
ड्रिल के लिए संबंधित जिलों के उपायुक्त, एसएसपी और एसपी स्तर पर बैठक कर जरूरी रणनीति तैयार कर ली गई है। इसमें स्थानीय जिला प्रशासन, सिविल डिफेंस विंग, गृह रक्षा वाहिनी, एनसीसी, एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना), नेहरू युवा केंद्र संगठन के सदस्य और स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी सक्रिय रूप से भाग लेंगे।
इस अभ्यास का उद्देश्य आम नागरिकों को यह सिखाना है कि संकट की घड़ी में किस तरह सुरक्षित रहा जाए और प्रशासन के साथ मिलकर स्थिति को कैसे संभाला जा सकता है। मॉक ड्रिल से नागरिकों में जागरूकता बढ़ेगी और आपदा के समय उनके प्रतिक्रिया देने की क्षमता में सुधार आएगा।
झारखंड में आयोजित हो रही इस मॉक ड्रिल को लेकर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह तैयार है और संबंधित सभी एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि यह अभ्यास नागरिकों को आपात स्थिति में खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगा।
मॉक ड्रिल से पहले सभी संबंधित जिलों के उपायुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी/एसपी) ने समन्वय बैठकें कर आवश्यक रणनीति तैयार कर ली है। इस दौरान सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के बिंदुओं जैसे चेतावनी सायरन, ब्लैकआउट, आपात निकासी और घायलों की प्राथमिक चिकित्सा आदि पर गहन चर्चा की गई।
ड्रिल के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाएंगे, जिसके बाद उस क्षेत्र में ब्लैकआउट की स्थिति लागू की जाएगी, यानी सभी लाइटें बंद की जाएंगी और लोगों को उनके घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का निर्देश दिया जाएगा। यह पूरा अभ्यास इसलिए किया जाता है ताकि वास्तविक युद्ध या आतंकी हमले जैसी स्थिति में जान-माल के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
इस मॉक ड्रिल में स्थानीय जिला प्रशासन, सिविल डिफेंस विंग, गृह रक्षा वाहिनी, एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर), एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) के वालंटियर्स, नेहरू युवा केंद्र संगठन के सदस्य और स्कूल-कॉलेजों के छात्र सक्रिय रूप से भाग लेंगे। इन सभी को पूर्वाभ्यास के तहत अपनी-अपनी भूमिकाओं का अभ्यास कराया जाएगा ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में ये लोग समाज की मदद कर सकें।