
PoK में सभी मदरसे 10 दिनों के लिए बंद, भारत की जवाबी कार्रवाई की आशंका से खौफ का माहौल
इस्लामाबाद/नई दिल्ली।
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल एक बार फिर से उभरता दिख रहा है। भारत द्वारा पूर्व में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के अनुभवों से डरा पाकिस्तान अब किसी संभावित कार्रवाई की आशंका से घिरा हुआ है। इसी आशंका के तहत गुलाम कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir – PoK) की सरकार ने अपने यहां स्थित सभी धार्मिक मदरसों को 10 दिनों के लिए बंद करने का आदेश जारी किया है।
यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व, भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई को लेकर सतर्क और चिंतित नजर आ रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या वाकई पाकिस्तान को भारत की ओर से सख्त सैन्य जवाब की आशंका है या फिर यह कोई अंदरूनी रणनीति का हिस्सा है?
मदरसों को लेकर चिंता क्यों?
PoK में चल रहे कई मदरसे लंबे समय से आतंकवादी संगठनों से जुड़ी गतिविधियों के केंद्र माने जाते रहे हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टों में यह बात सामने आती रही है कि इन मदरसों में कट्टरपंथी सोच, जिहादी प्रशिक्षण और आतंकवादी भर्तियाँ होती हैं। यही वजह है कि भारत द्वारा की गई पिछली सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में इन शिविरों को निशाना बनाया गया था।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार का रुख सख्त बताया जा रहा है, और खुफिया एजेंसियों द्वारा PoK में संदिग्ध गतिविधियों पर गहरी नजर रखी जा रही है। इन परिस्थितियों को देखते हुए PoK प्रशासन का यह कदम इस आशंका की पुष्टि करता है कि कहीं भारत फिर से सीमापार कार्रवाई न कर दे।
डर या दिखावा?
राजनीतिक विश्लेषकों की राय इस पर बंटी हुई है। एक वर्ग का मानना है कि मदरसों को बंद करना पाकिस्तान का एहतियाती कदम है, ताकि भारत को यह दिखाया जा सके कि वह अब धार्मिक संस्थानों के नाम पर आतंक फैलाने की नीति से पीछे हट रहा है।
दूसरी ओर कुछ जानकारों का मानना है कि यह फैसला भीतर ही भीतर चल रही सैन्य तैयारियों को छिपाने का एक तरीका भी हो सकता है। पाकिस्तान पहले भी कई बार धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों का उपयोग आतंकी ढांचे को मजबूत करने में करता रहा है। ऐसे में मदरसों को बंद करना, भारत की आंखों में धूल झोंकने जैसा भी हो सकता है।
भारत की स्थिति और रुख
भारत ने फिलहाल पहलगाम आतंकी हमले पर आधिकारिक तौर पर PoK को लेकर कोई सैन्य घोषणा नहीं की है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सबूत ठोस मिले और सीमा पार से आतंक की पुष्टि हुई, तो भारत कोई भी कड़ा कदम उठा सकता है।
गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की उच्चस्तरीय बैठकें हाल के दिनों में बढ़ी हैं, और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती भी सतर्कता के संकेत देती है। भारत यह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहा है।
क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की छवि पहले ही आतंकी पनाहगाह के रूप में प्रभावित हो चुकी है। FATF (Financial Action Task Force) की निगरानी सूची से बाहर आने के बाद पाकिस्तान यह दिखाना चाहता है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देता। मदरसों को अस्थायी रूप से बंद करना इस दिशा में एक कूटनीतिक प्रयास हो सकता है ताकि अंतरराष्ट्रीय दबाव से राहत मिल सके।
PoK में मदरसों का अचानक 10 दिनों के लिए बंद होना सिर्फ एक सामान्य प्रशासनिक फैसला नहीं बल्कि एक बहुआयामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह कदम जहां एक ओर भारत की संभावित सख्त कार्रवाई से बचने की कोशिश हो सकती है, वहीं दूसरी ओर यह आतंरिक साजिशों और आतंकी नेटवर्क की गतिविधियों को पुनर्गठित करने का भी एक अवसर हो सकता है। आने वाले दिनों में इस फैसले के पीछे की असली वजहें और भी स्पष्ट होंगी।