
लातेहार: किसानों की आय में वृद्धि एवं नए फसलों की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता के निर्देशानुसार जिले के किसानों को मखाने की खेती की ओर अग्रसर करने हेतु विशेष पहल की गई है। इसी क्रम में जिला उद्यान पदाधिकारी, लातेहार के द्वारा जिले से 10 किसानों को मखाने की खेती से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए दिनांक 01 अप्रैल 2025 को जिला उद्यान पदाधिकारी, दरभंगा कार्यालय, बिहार भेजा गया।
यह प्रशिक्षण 03 अप्रैल 2025 से 04 अप्रैल 2025 तक दो दिवसीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें किसानों को मखाने की खेती की विस्तृत जानकारी दी गई। प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात ये किसान लातेहार जिले में मखाने की खेती की शुरुआत करेंगे और अन्य किसानों को भी इसकी खेती के लाभों एवं तकनीकों से अवगत कराएँगे।
मखाने की खेती: एक लाभकारी व्यवसाय
मखाना एक पोषक तत्त्व से भरपूर जलीय उत्पाद है, जो विशेष रूप से तालाबों में उगाया जाता है। इसकी खेती उन जलाशयों में की जाती है जहाँ 4 से 5 फीट तक पानी हमेशा भरा रहता है। मखाना में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त मात्रा होती है, जिससे यह स्वास्थ्यवर्धक आहार के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, बाजार में इसकी अत्यधिक मांग है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सकता है।
मखाने की खेती के लाभ
- उच्च बाजार मूल्य: मखाने की कीमत अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में अधिक होती है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ सकती है।
- पोषक तत्वों से भरपूर: इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो इसे एक स्वस्थ आहार बनाता है।
- कम रखरखाव की आवश्यकता: इसकी खेती के लिए अधिक श्रम या उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती, जिससे लागत कम आती है।
- जल संरक्षण: चूँकि यह जलाशयों में उगाया जाता है, यह जल संरक्षण में भी मदद करता है।
- रोजगार के नए अवसर: मखाने की खेती से जुड़े विभिन्न कार्यों के कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित हो सकते हैं।
प्रशिक्षण का उद्देश्य और भविष्य की योजना
जिला उद्यान पदाधिकारी, लातेहार ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जिले के किसानों को मखाने की खेती की उन्नत तकनीकों से अवगत कराना है, जिससे वे अपने पारंपरिक कृषि कार्यों के साथ-साथ मखाने की खेती भी शुरू कर सकें। प्रशिक्षण से लौटने के बाद ये किसान अपने-अपने क्षेत्रों में अन्य किसानों को भी इस खेती के बारे में जागरूक करेंगे और उन्हें प्रेरित करेंगे।
इसके अलावा, जिला प्रशासन की योजना है कि आने वाले वर्षों में जिले में अधिक से अधिक किसानों को इस खेती से जोड़ा जाए और उनके लिए तकनीकी सहायता, वित्तीय सहयोग और बाजार उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
सरकार द्वारा मिलने वाली सहायता
सरकार भी किसानों को मखाने की खेती अपनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान कर रही है, जिसमें सब्सिडी, बीज आपूर्ति, उन्नत कृषि उपकरण और वित्तीय अनुदान शामिल हैं। इससे किसानों को प्रारंभिक निवेश में सहायता मिलेगी और वे आसानी से इस खेती को अपना सकेंगे।
किसानों की प्रतिक्रियाएँ
प्रशिक्षण में शामिल एक किसान, रामेश्वर यादव ने बताया कि यह प्रशिक्षण उनके लिए बहुत लाभदायक रहा। उन्होंने कहा, “पहले हमें मखाने की खेती की सही जानकारी नहीं थी, लेकिन इस प्रशिक्षण से हमें यह समझ में आया कि यह एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है। अब हम इसे अपने जिले में अपनाकर अपनी आय में वृद्धि करेंगे।”
इसी तरह, अन्य किसानों ने भी इस प्रशिक्षण को उपयोगी बताया और जिला प्रशासन के इस प्रयास की सराहना की।
लातेहार जिले में मखाने की खेती को बढ़ावा देने की यह पहल किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकती है। यदि इस योजना को सही तरीके से लागू किया गया और किसानों को निरंतर सहायता प्रदान की गई, तो यह न केवल उनकी आय में वृद्धि करेगा, बल्कि जिले के कृषि परिदृश्य में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएगा। मखाने की बढ़ती मांग और इसके पोषण संबंधी लाभों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वर्षों में यह खेती लातेहार जिले के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आजीविका का साधन बन सकती है।