शिवहर। विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच शिवहर सीट पर मुकाबला बेहद रोमांचक होता जा रहा है। यहां इस बार विकास के मुद्दे पीछे छूट गए हैं और जातीय समीकरण पूरी तरह से चुनावी माहौल पर हावी दिखाई दे रहे हैं।
चुनाव प्रचार में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य या रोजगार जैसे विकास के मुद्दों की चर्चा बहुत कम है, जबकि जाति-आधारित वोट बैंक को साधने की कवायद जोरों पर है।
स्थानीय मतदाता मानते हैं कि नेताओं ने हर बार “विकास” का वादा किया, लेकिन हकीकत में जमीनी बदलाव न के बराबर दिखा।
महिला मतदाता एकजुट, पुरुष अब भी बंटे हुए
इस बार महिला मतदाता काफी सक्रिय और एकजुट दिख रही हैं। उनका झुकाव उन उम्मीदवारों की ओर है जो शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार पर ठोस काम का वादा कर रहे हैं।
वहीं, पुरुष मतदाता अभी भी जातिगत पहचान और स्थानीय समीकरणों में उलझे नजर आ रहे हैं।
टिकट बंटवारे पर भी मचा था बवाल
शिवहर सीट पर इस बार टिकट बंटवारे को लेकर भी भारी सियासी उठापटक देखने को मिली। विभिन्न दलों में उम्मीदवार चयन को लेकर गुटबाजी और अंतर्कलह खुलकर सामने आई, जिसका असर सीधे चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है।
जनता करेगी फैसला — विकास या जातिवाद?
अब देखना यह होगा कि शिवहर की जनता जातीय समीकरणों को तोड़कर विकास के मुद्दों पर वोट देगी या नहीं।
चुनाव नतीजे यह तय करेंगे कि क्या इस बार जनता पुराने समीकरणों को बदलने को तैयार है या फिर एक बार फिर जातिवाद ही बनेगा राजनीति का आधार।