लातेहार। झारखंड में कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग को लेकर जारी विवाद अब और तेज हो गया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों की तरह लातेहार में भी इस मांग का आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है।
इसी क्रम में समाजसेवी एवं छात्र नेता कमलेश उराँव ने कहा कि आदिवासी समाज की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान, भाषा, नृत्य-गान और त्योहार हैं, जिनसे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि “करम से लेकर सरहुल तक, आदिवासी परंपराएँ हमारी अस्मिता का प्रतीक हैं। यदि इनसे छेड़छाड़ की गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।”
कमलेश उराँव ने आरोप लगाया कि कुड़मी/कुरमी महतो पहले OBC आरक्षण का लाभ ले रहे हैं और अब ST श्रेणी में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि “1931 की जनगणना के समय कुड़मी समुदाय ने स्वयं को क्षत्रिय और शिवाजी का वंशज बताया था, जबकि 1996 में पेसा कानून लागू होने पर भी इसका विरोध किया था।”