
लातेहार, 1 जुलाई सदर प्रखंड अंतर्गत मंगलवार को आरागुंडी संध्या स्थित सरना स्थल धुमकुड़िया में पारंपरिक धुमकुड़िया का संचालन विधिवत रूप से प्रारंभ किया गया। इसका उद्घाटन जिला परिषद सदस्य एवं उरांव समाज समन्वय समिति झारखंड के स्टेट कन्वेनर सह संरक्षक रंथु उरांव एवं सेवा निवृत्त शिक्षक सिकंदर उरांव ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर समाजसेवी बिनोद उरांव ने कहा, “हमारे आदिवासी समाज की बोली, भाषा, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक पहचान को बचाने का सबसे प्रभावी माध्यम धुमकुड़िया है। प्रत्येक गांव में इसका संचालन अति आवश्यक है।”

मोती उरांव ने अपने वक्तव्य में कहा, “समाज का अपना शिक्षण संस्थान होना नितांत आवश्यक है, ताकि हमारी संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन हो सके।”
सेवानिवृत्त शिक्षक श्री सिकंदर उरांव ने ग्रामीणों की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “सरकारी सेवा के बाद अपने गांव की सेवा करने का अवसर मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।”
समारोह में बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष, बच्चे, बच्चियां एवं बुजुर्गों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सामुदायिक सहयोग से ऑनलाइन पढ़ाई को प्रोत्साहित करने हेतु एक एलईडी स्क्रीन भी स्थापित की गई है।

समारोह में प्रमुख रूप से मोती उरांव, कोषाध्यक्ष जयराम उरांव, लखन उरांव, अनिल उरांव, संदीप उरांव, राजेश उरांव, प्रदीप उरांव, निर्मला उरांव, देवंती उरांव, सरिता उरांव, सुरेंद्र उरांव, रोमन उरांव, सीटिया उरांव, हीरालाल उरांव, अशोक उरांव, संकर उरांव, रविंद्र उरांव, मेघनाथ उरांव, धनु उरांव, बबलू उरांव, प्रतिभा उरांव सहित कई लोग उपस्थित रहे।