
नई दिल्ली। देशभर में 7 मई को राष्ट्रीय स्तर की सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। यह अभ्यास भारत के 244 जिलों में एक साथ किया जाएगा, जिसमें नागरिक सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य युद्ध जैसी आपात परिस्थितियों में नागरिकों की तैयारी और सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली की जांच करना है।
गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सिविल डिफेंस संगठन द्वारा आयोजित इस मॉक ड्रिल में ब्लैकआउट, सायरन बजाना, नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना (इवैकुएशन), आपात मेडिकल सहायता, छलावरण और नागरिक प्रशिक्षण जैसी गतिविधियां शामिल होंगी। यह पहली बार है जब इतने व्यापक स्तर पर इस तरह का अभ्यास एक ही दिन देश के इतने अधिक जिलों में किया जा रहा है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सतर्कता
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और भी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि इस हमले के मद्देनजर ही केंद्र सरकार ने नागरिक सुरक्षा को लेकर एक समन्वित रणनीति अपनाने का फैसला किया है। सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल उसी रणनीति का हिस्सा है।
गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और जिला प्रशासन से मॉक ड्रिल की तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, मॉक ड्रिल के बाद विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है, ताकि अभ्यास की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके और आवश्यक सुधार किए जा सकें।
क्या होता है मॉक ड्रिल का मकसद?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य है – नागरिकों को आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना और सरकारी एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना। इस अभ्यास के दौरान यह देखा जाएगा कि यदि किसी शहर या इलाके में अचानक युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाए, तो वहां के लोग और प्रशासन किस प्रकार से प्रतिक्रिया देते हैं।
यह ड्रिल जनता को यह भी सिखाने का अवसर देती है कि ब्लैकआउट के दौरान कैसे व्यवहार करें, सुरक्षित स्थानों पर कैसे पहुंचें, और बमबारी या आतंकी हमले की स्थिति में कैसे खुद को सुरक्षित रखें।
आम जनता की भूमिका
इस मॉक ड्रिल में आम नागरिकों की भागीदारी को भी अहम माना गया है। स्थानीय प्रशासन लोगों से अपील कर रहा है कि वे इस अभ्यास को गंभीरता से लें और इसमें सक्रिय रूप से भाग लें। मॉक ड्रिल के दौरान कोई वास्तविक खतरा नहीं होगा, लेकिन वास्तविक परिस्थिति का अनुभव देने के लिए इसे पूरी तरह पेशेवर तरीके से आयोजित किया जाएगा।
साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस अभ्यास से सामान्य जनजीवन बाधित न हो। स्कूल, अस्पताल, बाजार आदि क्षेत्रों में विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
भविष्य की तैयारी
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे विशाल देश में जहां कई संवेदनशील सीमाएं हैं, वहां नागरिक सुरक्षा प्रणाली का मजबूत होना बेहद जरूरी है। इस तरह के अभ्यास से प्रशासनिक तैयारियों के साथ-साथ आम जनता में जागरूकता और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह अभ्यास समय-समय पर दोहराया जाएगा और भविष्य में इसमें और अधिक जिलों और तकनीकों को शामिल किया जाएगा।
7 मई को होने वाली यह मॉक ड्रिल न केवल एक अभ्यास है, बल्कि यह एक संकेत भी है कि भारत अब युद्ध जैसे हालात के लिए केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि नागरिक स्तर पर भी तैयारी कर रहा है।