
रांची। गिरिडीह जिले के घोड़थंबा ओपी क्षेत्र में 14 मार्च को होली के दिन दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम मौके पर पहुंची है। आयोग की यह टीम पिछले दो दिनों से इलाके में डेरा डाले हुए है और घटनास्थल के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में गहन जांच-पड़ताल कर रही है।
आयोग के सहायक रजिस्ट्रार गौतम कुमार और इंस्पेक्टर यति प्रकाश के नेतृत्व में जांच टीम ने सबसे पहले हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया और घटना के दौरान मौजूद चश्मदीदों से बातचीत कर पूरी स्थिति को समझने की कोशिश की। इस दौरान टीम ने गिरिडीह के उपायुक्त (DC) और पुलिस अधीक्षक (SP) से मुलाकात कर उन्हें मामले की विस्तृत जानकारी देने को कहा।
NHRC की टीम ने उन व्यापारियों से भी मुलाकात की, जिनकी दुकानें इस हिंसा में जला दी गई थीं। दुकानदारों ने अपने नुकसान और उस दिन की भयावह स्थिति के बारे में आयोग को विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही टीम ने उन स्थानीय निवासियों से भी बातचीत की जिनके घरों पर पथराव किया गया था या जिनके परिवार के सदस्य इस झड़प में घायल हुए थे।
क्या हुआ था 14 मार्च को?
14 मार्च को गिरिडीह जिले में होली के अवसर पर पारंपरिक रूप से जुलूस निकाला गया था। जुलूस जब घोड़थंबा ओपी क्षेत्र में पहुंचा, तो वहां दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। धीरे-धीरे स्थिति तनावपूर्ण हो गई और दोनों पक्षों के बीच झड़प शुरू हो गई। देखते ही देखते पथराव शुरू हो गया और माहौल हिंसक हो उठा।

स्थिति इतनी बिगड़ गई कि उग्र भीड़ ने कई दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान कई लोग घायल भी हुए। झड़प के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए जिला प्रशासन ने इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की।
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मामले को जल्द नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। हिंसा से प्रभावित लोगों में डर और गुस्से का माहौल है। पीड़ितों का आरोप है कि प्रशासन समय पर कार्रवाई करता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
मानवाधिकार आयोग की भूमिका
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का यह दौरा ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है। आयोग यह जानना चाहता है कि हिंसा के दौरान प्रशासन और पुलिस की क्या भूमिका रही, क्या मानवीय अधिकारों का उल्लंघन हुआ और क्या पीड़ितों को उचित सहायता मिली या नहीं।
NHRC की टीम स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मिली रिपोर्ट के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसे आयोग के मुख्यालय को भेजा जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोग NHRC से कर रहे न्याय की उम्मीद
घटना के बाद से पीड़ित परिवारों में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि NHRC की जांच से उन्हें न्याय मिलेगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। साथ ही उन्हें हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा और पुनर्वास सहायता भी मिल सकेगी।
अभी तक NHRC की ओर से कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद आयोग अपनी सिफारिशों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगा।