
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया, जिसे लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि इससे वक्फ बोर्डों की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। वहीं, विपक्षी दलों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसे भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक बताते हुए विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
विधेयक पर क्या बोले किरण रिजिजू?
विधेयक पेश करते हुए किरण रिजिजू ने संप्रग (UPA) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2013 में वक्फ अधिनियम में किए गए बदलावों ने पारदर्शिता को बाधित किया। उन्होंने कहा कि नई संशोधन विधेयक से वक्फ संपत्तियों की सही मॉनिटरिंग, जवाबदेही और प्रशासनिक सुधार संभव होगा।
उन्होंने आगे कहा,
“पहले की सरकारों ने जो संशोधन किए थे, वे पारदर्शिता को कमजोर करने वाले थे। हमारा प्रयास है कि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग हो और इसमें कोई गड़बड़ी न हो।”
AIMPLB ने जताया कड़ा विरोध, आंदोलन की चेतावनी
वक्फ संशोधन विधेयक पर AIMPLB के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए देशव्यापी विरोध आंदोलन की चेतावनी दी है।
उन्होंने कहा,
“अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है, तो हम इसके खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। हम अपने कानूनी और संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करेंगे। जब तक प्रस्तावित संशोधन वापस नहीं लिए जाते, हम शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे।”
इलियास ने यह भी आरोप लगाया कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में विपक्ष की बातों को अनदेखा किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह विधेयक एकतरफा और पूर्वाग्रह से प्रेरित है।
क्या हैं विधेयक के प्रमुख प्रावधान?
सरकार ने वक्फ अधिनियम में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं, जिनका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। विधेयक के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
- वक्फ बोर्ड की जवाबदेही बढ़ाना – नए संशोधनों से वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाया जाएगा।
- संपत्तियों की निगरानी – वक्फ संपत्तियों की मॉनिटरिंग के लिए सरकार को अधिक अधिकार दिए जाएंगे।
- अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई – यदि कोई संपत्ति का दुरुपयोग होता है तो सख्त दंड का प्रावधान किया जाएगा।
विपक्ष ने उठाए सवाल
लोकसभा में विधेयक पेश होते ही विपक्ष ने इसका जोरदार विरोध किया। कांग्रेस, टीएमसी और AIMIM सहित अन्य दलों ने आरोप लगाया कि सरकार एक खास समुदाय को निशाना बना रही है।
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,
“सरकार को जवाब देना चाहिए कि वह केवल वक्फ संपत्तियों को ही निशाना क्यों बना रही है? अगर पारदर्शिता की बात है, तो यह सभी धार्मिक संस्थानों पर लागू होनी चाहिए।”
टीएमसी सांसद ने इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया और मांग की कि इस विधेयक को वापस लिया जाए।
सरकार का क्या कहना है?
सरकार का कहना है कि यह विधेयक धार्मिक भेदभाव से प्रेरित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना है।
भाजपा सांसदों का तर्क है कि वक्फ बोर्डों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं और कई मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं, जिन्हें रोकना जरूरी है।
क्या होगा आगे?
लोकसभा में यह विधेयक पेश हो चुका है, लेकिन इसे पास कराना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। विपक्षी दल इसे संशोधन के लिए संसदीय समिति में भेजने की मांग कर रहे हैं। AIMPLB सहित मुस्लिम संगठनों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। ऐसे में सरकार को इस विधेयक को पास कराने के लिए विपक्ष को समझाने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
वक्फ संशोधन विधेयक ने संसद के भीतर और बाहर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। जहां सरकार इसे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने वाला कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और AIMPLB इसे सांप्रदायिक एजेंडे से प्रेरित बता रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या यह विधेयक आसानी से पास हो पाएगा या फिर विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के दबाव में सरकार को इसमें बदलाव करने होंगे।