
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने संत रविदास जयंती के अवसर पर 12 फरवरी, बुधवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का आदेश जारी किया है। इससे पहले यह दिवस निर्बंधित अवकाश की श्रेणी में था, लेकिन अब इसे पूर्ण सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दी गई है।
यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लिया गया, जिससे प्रदेशभर के सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य सरकारी संस्थानों में अवकाश रहेगा।
संत रविदास की जयंती का महत्व
संत रविदास भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। उनका जन्म 15वीं सदी में वाराणसी में हुआ था। वे समाज में व्याप्त जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं। संत रविदास ने भक्ति, समानता और प्रेम के संदेश को अपने दोहों और रचनाओं के माध्यम से फैलाया। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक हैं।
हर साल माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस दिन उनके अनुयायी विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं, विशेष रूप से वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर में भव्य आयोजन होता है, जिसे संत रविदास की जन्मस्थली माना जाता है।
सरकार का फैसला क्यों महत्वपूर्ण?
इससे पहले मकर संक्रांति को भी सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था, और अब संत रविदास जयंती को भी इस श्रेणी में शामिल कर दिया गया है। इस फैसले को सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि संत रविदास का अनुसरण करने वाले लोगों की संख्या काफी बड़ी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से संत रविदास के अनुयायियों और दलित समुदाय में सकारात्मक संदेश जाएगा और वे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से मना सकेंगे।
कैसा रहेगा अवकाश?
सरकारी आदेश के अनुसार, 12 फरवरी को प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेज और अन्य शासकीय संस्थान बंद रहेंगे। हालांकि, आवश्यक सेवाएं जैसे अस्पताल, पुलिस, फायर ब्रिगेड और परिवहन सेवाएं सुचारू रूप से जारी रहेंगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
सरकार के इस निर्णय पर विपक्ष की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ नेताओं ने इसे सकारात्मक कदम बताया है, जबकि कुछ का मानना है कि इसे केवल राजनीतिक फायदे के लिए किया गया है।