
लातेहार: उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता की अध्यक्षता में पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के कोर क्षेत्र में अवस्थित कुजरूम और लाटू गांव के ग्रामीणों के पुनर्वास को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक गारू प्रखंड के वन विश्रामागार, मारोमार में संपन्न हुई, जिसमें पुनर्वास प्रक्रिया को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने पर गहन विमर्श किया गया।
बैठक में सरयू प्रखंड के चोरहा पंचायत अंतर्गत लाई एवं पाइलापत्थर गांव में कुजरूम और लाटू के ग्रामीणों को पुनर्वासित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इसके तहत विस्थापित परिवारों को भूमि एवं मुआवजा देने से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श हुआ। इस दौरान संबंधित अधिकारियों को पुनर्वास स्थल पर आवश्यक मूलभूत सुविधाएं विकसित करने के निर्देश दिए गए, ताकि विस्थापित ग्रामीणों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
पुनर्वास प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश
बैठक के दौरान उपायुक्त ने प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) गारू और बीडीओ सरयू को पुनर्वास प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि ग्रामीणों के पुनर्वास में किसी भी प्रकार की देरी न हो और उन्हें उचित मुआवजा एवं सुविधाएं प्रदान की जाएं।
बैठक में निर्णय लिया गया कि पुनर्वासित गांवों में सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य केंद्र और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, ग्रामीणों को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने के लिए भी योजनाएं बनाई जाएंगी, जिससे वे नए स्थान पर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण बैठक में उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता के साथ कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। इनमें पलामू व्याघ्र परियोजना (उत्तरी प्रमंडल, कोर एरिया) के उप निदेशक कुमार आशीष, उप विकास आयुक्त सुरजीत कुमार सिंह, अपर समाहर्ता रामा रविदास, अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) अजय कुमार रजक, गोपनीय प्रभारी श्रेयांश, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. चंदन, बीडीओ गारू, बीडीओ सरयू, बीडीओ बरवाडीह और अंचल अधिकारी बरवाडीह शामिल थे।
क्यों किया जा रहा है पुनर्वास?
पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के कोर क्षेत्र में बसे कुजरूम और लाटू गांव वन्यजीवों के लिए संवेदनशील क्षेत्र हैं। बाघ और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए इन गांवों के निवासियों को कोर क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है। इससे न केवल ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास भी संरक्षित रहेगा।
सरकार एवं प्रशासन द्वारा इस पुनर्वास योजना को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि विस्थापित परिवारों को समुचित सुविधाएं और आर्थिक संबल मिल सके।