
इस्लामिक आख्यान शास्त्र के अनुसार एंजल को फ़रिश्ता कहते हैं और फ़रिश्तों ने अल्लाह की अवज्ञा नहीं की थी। यह इसलिए कि वे रोशनी से उत्पन्न हुए थे और उनकी कोई स्वतंत्र इच्छा नहीं थी। अल्लाह के कहने पर वे आदम के सामने झुके थे। लेकिन शैतान ‘इब्लीस’ एक जिन्न था और इसलिए उसने अल्लाह की अवज्ञा की। फ़रिश्तों का इस्लामी लोककथाओं में उल्लेख है, लेकिन इस्लाम में उन्हें कला में कल्पित करना मना है।इसके विपरीत गिरिजाघरों में सेराफ़िम, चेरब और आर्कएंजल जैसे एंजल को कल्पित किया जाता है। क़ुरआन में बहुत कम फ़रिश्तों का उल्लेख है। उनके अधिकांश नाम पश्चिमी एशिया की उत्तरकालीन लोककथाओं से आए हैं। इन लोककथाओं में ईसाई धर्म के गेब्रियल, जिब्रा’इल और माइकल, मिका’इल में बदल गए। जिब्रा’इल एक दूत थे, जिन्होंने मुहम्मद पैग़ंबर की मदद की थी।और सदाचार तथा न्याय से जुड़े हैं। अज़राइल या अज़रेल मृत्यु के फ़रिश्ते हैं। इसलिए इस्लाम में विश्वास करने वालों को उनसे दिलासा मिलता है.आवाज़ से विश्व का अंत होगा और दूसरी आवाज़ से मृतकों का पुनरुत्थान होगा, ताकि वे क़यामत के लिए प्रस्तुत हो सकें। हबीब उन मनुष्यों को सलाह देते हैं जो मिन्नत करते हैं। राद गड़गड़ाहट के फ़रिश्ते हैं और वे बादलों और तूफ़ानों को नियंत्रित करते हैं। किरामान कातिबिन मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। हमालत अल अर्श अल्लाह के सिंहासन को उठाते हैं और उसे इबादत से घेरते हैं। मुक़्क़ाबित संरक्षक फ़रिश्ता हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि किसी मनुष्य की समय से पहले मृत्यु नहीं हो।मुस्कराते हैं। मुनकर और नकीर क़ब्रों की देख-रेख करते हैं। लोगों के दफ़न होते ही मुनकर और नकीर उनसे प्रश्न पूछते हैं कि क्या उन्होंने अल्लाह के नियमों का पालन किया था।उनके पास आए लोगों को वे जादू-टोना सिखाते हैं, लेकिन उन्हें चेतावनी भी देते हैं कि कैसे जादू-टोना उनके जीवन को नष्ट कर सकता है। इस्लामिक लोककथाओं में अलौकिक जीवों, फ़रिश्तों और जिन्नों का होना हमें याद दिलाता है कि सभी मनुष्य जीवन और मृत्यु को लेकर भयभीत हैं।इसलिए इन लोककथाओं को पढ़ते समय हमें उन चिंताओं के प्रति सहानुभूतिशील रहना उचित होगा, जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया
सोर्श भास्कर