पाकुड़

बच्चों को स्कूली शिक्षा के प्रति आकर्षित करने,बच्चों की अतिरिक्त पोषण उपलब्ध कराने एवं उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू की गई मध्यान्ह भोजन योजना का बच्चों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।बात की जाय पाकुड़ जिला के पाकुड़ प्रखंड अंतर्गत कोलाजोड़ा पंचायत वार्ड 9 के उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोलाजोड़ा जिसका यूडाइस नम्बर 20101008101 है,जहां बच्चों को गुणवत्ताहीन भोजन वितरित तो किया ही जा रहा है, इसके अलावे प्रत्येक दिन लगभग दो से ढाई बजे के आसपास बच्चों को मध्यान भोजन दिया जाता है।बच्चों को पौष्टिक आहार देने हेतु शासन की ओर से मैन्यू भी निर्धारित किया है।लेकिन मध्यान्ह भोजन वितरण करने वाले समूह संचालक मैन्यू को दरकिनार कर विलम्ब के साथ गुणवत्ताहीन भोजन बच्चों को परोस रहे हैं।जिससे स्कूलो मे बच्चों की संख्या लगातार घट रही है।खास बात यह है कि जब भी अधिकारी निरीक्षण करने जाते हैं तो स्कूल मे बच्चों की घटती संख्या व मध्यान भोजन के वितरण के सही समय पर ध्यान नहीं देते।इस बाबत ज़ब विद्यालय के प्रधानाध्यापक से पूछा गया तो उन्होंने कहा की ये मेरी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसकी जिम्मेदारी संयोजिका की है।पुनः ज़ब संयोजिका को पूछा गया की क्या कारण है मध्यान भोजन के विलम्ब का, तो उन्होंने कहा कि केवल आज ही विलम्ब हुआ है।लेकिन ज़ब विद्यालय मे अध्ययनरत बच्चों से पूछा गया तो बच्चों ने कहा कि हमलोगों को रोज 2 बजे के बाद ही खाना मिलता है।मेंन्यु के अनुसार तथा नियमित रूप से मिड डे मील का वितरण न होने के चलते स्कूली बच्चों के अभिभावकों का विश्वास भी कम हुआ है।प्रधानाध्यापक ने बताया कि बच्चों को यदि समय पर भोजन दे दिया जाता है तो सभी बच्चे खाने के बाद कोयला चुनने चले जाते हैं।अब सवाल यह है कि क्या विद्यालय के शिक्षक कि यह जिम्मेदारी नहीं है कि वे बच्चों कि अनुपस्थिति पर अंकुश लगाने का प्रयास करें और बच्चों को जागरूक करें।मध्यान भोजन मे समय की मापदंड का अनुपालन ना करना कहां तक उचित है।विद्यालय प्रबंधन के ढुलमूल रवैये कई सारे प्रश्न को खडे कर रही है।विभाग से अपील है की मामले को संज्ञान मे लेकर त्वरित कार्यवाही की जाय।
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