लातेहार:-जनजातीय सुरक्षा मंच के तहत समाहरणालय के परिषर में विरोध तथा प्रदर्शन किया गया उसके बाद मुख्यमंत्री के नाम से उपायुक्त को आवेदन दिया है।और कहां है कि जब एक व्यक्ति ईसाई धर्म में धर्मातरित हो जाता है। स्वाभाविक रूप से वह ईसाई धर्म मानता है।वैसे लोगो को किसी भी प्रकार की आरक्षण की सुविधाएँ देना असंवैधानिक है।कोई भी आदिवासी व्यक्ति अपनी सामाजिक व्यवस्था से अलग हो जाता है आदिवासियों की संस्कार से जैसे पूजा पाठ रहन-सहन और जन्म मृत्यु के संस्कारों से अलग हो जाता है वैसे लोगों को झारखंड की सरकार चिन्हित कर आदिवासियों के आरक्षण से उसे हटाया जाए। वही पूर्व में इस संबंध में जनमत संग्रह करने हेतु जनजाति सुरक्षा मंच ने 2009 में एक हस्ताक्षर अभियान बलाया था। जिसमें देशभर के 18 वर्ष के उम्र से ऊपर 27.67 लाख जनजाति लोगों ने हस्ताक्षर किया। उस समय जगदेव राय उराँव स्व दिलीप सिंह भूरिया एवं अनुसुईया उरांव (तत्कालीन राज्यसभा सदस्य एवं वर्तमान के राज्यपाल) के नेतृत्व में देशभर के जनजाति नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल से मिलकर यह जनमत संग्रह का आवेदन सौपा था।
परंतु हमें आज तक निरसा ही किया गया। 27,67 जनमत जनजाति लोगों की मनोकामना न्यायोचित मांग को संज्ञान में लेने या आवश्यक कदम उठाने का कोई प्रयास दिखाई नहीं किया गया। इधर हाल ही में लोकसभा के एक सदस्य के द्वारा इस विषय को उठाने का काम किया गया जो सराहनीय कदम था। उसको लेकर स्वागत किया गया। देश की आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी धर्मांतरण लोग आदिवासियों के आरक्षण की सुविधा का भरपूर-अधिकतम-अनुचित लाभ उठा रहे हैं।झारखण्ड सरकार का नेतृत्व आदिवासी मुख्यमंत्री कर रहे हैं। अपने कार्यक्षेत्र में नहीं आनेवाले आदिवासी के जीवन को प्रभावित करने से संबंधित कई विषयों पर राज्य सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। आपसे हमारा निवेदन है कि पांच दशकों से लंबित इस समस्या के समाधान हेतु प्राथमिकता के आधार पर आदिवासियों के साथ हो रहे । इस अन्याय को हमेशा के लिए समाप्त करें। धर्मांतरित लोगों को आदिवासी की सूची से हटाने हेतु यथाशीघ्र झारखण्ड विधानसभा से संकल्प प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा जाए। इसके आधार पर अपने पुरखों की सदियों से चली आ रही रूढ़ि, परम्परा मानने वाले आदिवासियों के हित में केंद्र सरकार संविधान में आवश्यक संशोधन कर उनके जीवन में 75 वर्ष से छाए अंधेरे को हटाते हुए आसा की नई किरण प्रवाहित करें।
यदि आप हमारी मांग के समर्थन में निर्णय लेने का साहस करते हैं तो आदिवासियों के हित में डीलिस्टिंग के संग्राम में आपके योगदान को झारखण्ड का आदिवासी समाज सदैव याद रखेगा। इस अवसर पर हरे कृष्ण सिंह, अजय कुमार उरांव, मेधा उरांव,सीतामणी तिर्की, संगम कुमार सिह,अरविंद भगत, राजू उरांव, प्रदीप टोप्पो, शीला देवी, लाल उरांव, रमेश उरांव, कमलेश उरांव, सुमन उरांव, समेत सैकड़ों लोग शामिल थे।
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