
कोल्हापुर (महाराष्ट्र)। इंसानियत को झकझोर देने वाला एक वीभत्स हत्याकांड महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से सामने आया, जिसने पूरे देश को दहला दिया। एक बेटे ने अपनी ही मां की नृशंस हत्या कर दी, और हद तो तब हो गई जब उसने मां की लाश के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं। अब इस मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि “यह व्यक्ति इतना वहशी है कि अगर इसे जेल में डाला गया तो वहां भी इंसानों को खा जाएगा। इसे जीने का कोई अधिकार नहीं है।”
क्या था मामला:
यह दिल दहला देने वाली घटना कोल्हापुर जिले के करवीर तालुका के एक गांव की है, जहां रहने वाला आरोपी युवक मानसिक रूप से विकृत प्रवृत्ति का बताया जा रहा है। आरोपी ने अपनी ही 55 वर्षीय मां की बेरहमी से हत्या कर दी। मां की हत्या के बाद आरोपी ने उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए, स्तन काट डाले, और शव के साथ अप्राकृतिक कृत्य भी किया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह सब सामने आया, जिसने पुलिस और अदालत तक को हिला दिया।
कोर्ट की टिप्पणी:
कोल्हापुर की विशेष सत्र अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी को मर्डर, शव के साथ अनैतिक कृत्य, और सबूत मिटाने की कोशिश के आरोप में दोषी ठहराया। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा:
“जिस मां ने इसे जन्म दिया, दूध पिलाया, पाल-पोसकर बड़ा किया, उसी के साथ इसने दरिंदगी की हदें पार कर दीं। यह व्यक्ति समाज के लिए खतरा है। यदि इसे उम्रकैद की सजा दी जाती है, तो यह जेल में भी अन्य कैदियों के लिए खतरा बन सकता है। यह वह व्यक्ति है जो इंसान के शरीर को भोजन समझ सकता है।”
अदालत ने आगे कहा कि यह मामला “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” की श्रेणी में आता है और समाज में एक सख्त संदेश देने के लिए मृत्युदंड ही एकमात्र उपयुक्त सजा है।
मां-बेटे के रिश्ते को कलंकित किया:
इस घटना ने न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक मूल्यों और मां-बेटे के रिश्ते को भी झकझोर दिया। जहां एक मां अपने बच्चे के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देती है, वहीं इस बेटे ने रिश्तों की मर्यादा ही खत्म कर दी। स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है।
मानसिक बीमारी का दावा, लेकिन नहीं मिली राहत:
आरोपी के वकील ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि आरोपी मानसिक रूप से बीमार है और उसे इलाज की ज़रूरत है, न कि मौत की सजा। हालांकि, मेडिकल जांच में यह साबित नहीं हो सका कि आरोपी किसी गंभीर मानसिक रोग से पीड़ित है। आरोपी के व्यवहार, वारदात के तरीके, और उसके बाद की गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया कि वह पूरी तरह से सजग और जानबूझकर ऐसा कर रहा था।
जेल से भी आ रही थीं शिकायतें:
आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद जब उसे जेल में रखा गया, तो वहां भी उसके व्यवहार को लेकर कई शिकायतें आईं। जेल अधिकारियों ने अदालत को बताया कि आरोपी अन्य कैदियों के प्रति भी आक्रामक व्यवहार कर रहा था और उसे अलग बैरक में रखना पड़ा। इससे कोर्ट का यह मत और मजबूत हुआ कि आरोपी समाज के लिए गंभीर खतरा है।
न्याय के नाम पर राहत की सांस:
पीड़िता के परिवार और गांव के लोगों ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया है। गांव के सरपंच ने कहा, “ऐसा अपराध हमने कभी नहीं सुना था। हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। इससे समाज में संदेश जाएगा कि ऐसे दरिंदों के लिए कोई जगह नहीं है।”
कोल्हापुर मर्डर केस न केवल एक अपराध की कहानी है, बल्कि यह उस सीमा को भी दर्शाता है जहां इंसानियत हार जाती है और हैवानियत जीतने की कोशिश करती है। कोर्ट का यह फैसला एक उदाहरण बनेगा कि कानून ऐसे दरिंदों को सजा देने में संकोच नहीं करता। न्यायालय की सख्ती और स्पष्टता समाज में अपराध के प्रति भय उत्पन्न करेगी और यह संदेश देगी कि रिश्तों की मर्यादा तोड़ने वालों के लिए भारत के कानून में कोई रहम नहीं है।
सोर्स भास्कर,