मनिका। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) मनिका में सोमवार और मंगलवार को दो दिवसीय रिफ्रेशर इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट ऑफ न्यूट्रेंस एंड चाइल्ड इलनेस (आईएमएनसीआई) कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों में होने वाली शिशु मृत्यु दर को कम करना और स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाना था।
प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को ई-आईएमएनसीआई एप्लीकेशन के माध्यम से पंजीकरण और वर्गीकरण की विस्तृत जानकारी दी गई। इस एप्लीकेशन के उपयोग से आशा, एएनएम और सीएचओ को कागजी कार्रवाई से मुक्ति मिलेगी और वे सीधे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी दर्ज कर सकेंगी। इससे समय की बचत के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और कार्यकुशलता भी बढ़ेगी।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दिव्य क्षितिज कुजूर ने बताया कि एप्लीकेशन के उपयोग से स्वास्थ्यकर्मियों को शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य संबंधी कार्यों में आसानी होगी और सेवाएं ज्यादा सटीक तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच पाएंगी। उन्होंने कहा कि शिशु मृत्यु दर कम करना सरकार और स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता है और इस दिशा में तकनीकी सहयोग अहम भूमिका निभा रहा है।
इस मौके पर टेरे डेस होम्स और डॉ फॉर यू की राज्य स्तरीय टीम से डिमोंड साहू और पीयूष कुमार सिंह ने प्रतिभागियों को एप्लीकेशन संचालन और रोगों के वर्गीकरण की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से न केवल स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी बल्कि ग्रामीण इलाकों में बच्चों की जान बचाने में भी मदद मिलेगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीडीएम नमन कुमार सहित बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी और अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने इस पहल को शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में एक सार्थक कदम बताया।