झारखंड में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान कर उन्हें राज्य से बाहर निकाला जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन करेगी, जो इनकी पहचान करेगी और इन्हें डिटेक्शन के बाद कार्रवाई के लिए चिन्हित करेगी। केंद्र सरकार ने इस प्रक्रिया को जल्द शुरू करने के लिए झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इस पत्र में राज्य के सभी जिलों में होल्डिंग सेंटर (Holding Centers) बनाने का निर्देश भी दिया गया है, ताकि पकड़े गए अवैध घुसपैठियों को कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक वहीं रखा जा सके।
केंद्र सरकार का कहना है कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अवैध प्रवासियों की पहचान और निष्कासन आवश्यक है। विशेषकर बांग्लादेश और म्यांमार (रोहिंग्या) से आए लोग राज्य की सामाजिक संरचना, संसाधनों और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकते हैं। पत्र में उल्लेख किया गया है कि इन प्रवासियों की पहचान के लिए पुलिस, खुफिया एजेंसियां और स्थानीय प्रशासन समन्वय के साथ काम करें। STF में इन सभी एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
राज्य सरकार को अवैध घुसपैठियों की पहचान करने के लिए विभिन्न स्रोतों और तकनीकी माध्यमों का उपयोग करने का भी निर्देश दिया गया है। आधार, राशन कार्ड, मतदाता सूची और अन्य दस्तावेजों की जांच के साथ-साथ संदिग्ध बस्तियों की निगरानी की जाएगी। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को विदेशियों के अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत डिपोर्ट किया जाएगा।
होल्डिंग सेंटर बनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि पकड़े गए लोगों को तब तक सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में रखा जा सके, जब तक कि उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि नहीं हो जाती और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पूरी नहीं होती। राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया गया है कि इन सेंटर्स की सुरक्षा और व्यवस्था मजबूत की जाए और इन्हें जेलों से अलग रखा जाए ताकि अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन हो।
यह कदम उस समय उठाया जा रहा है जब देशभर में कई राज्यों से रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध मौजूदगी की रिपोर्ट सामने आई है। हाल ही में दिल्ली, यूपी, असम और जम्मू-कश्मीर में भी रोहिंग्या की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है। झारखंड जैसे खनिज संपदा से भरपूर राज्य में इन अवैध प्रवासियों का बढ़ता असर सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राज्य और देश की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और मानवाधिकारों का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्दोष लोग इस कार्रवाई की चपेट में न आएं और केवल वे ही प्रवासी चिन्हित हों, जो कानूनी रूप से भारत में रहने के पात्र नहीं हैं।
source bhaskar
यह कदम उस समय उठाया जा रहा है जब देशभर में कई राज्यों से रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध मौजूदगी की रिपोर्ट सामने आई है। हाल ही में दिल्ली, यूपी, असम और जम्मू-कश्मीर में भी रोहिंग्या की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है। झारखंड जैसे खनिज संपदा से भरपूर राज्य में इन अवैध प्रवासियों का बढ़ता असर सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राज्य और देश की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और मानवाधिकारों का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्दोष लोग इस कार्रवाई की चपेट में न आएं और केवल वे ही प्रवासी चिन्हित हों, जो कानूनी रूप से भारत में रहने के पात्र नहीं हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राज्य और देश की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और मानवाधिकारों का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्दोष लोग इस कार्रवाई की चपेट में न आएं