
पहलगाम: एक ओर जहां आतंकी गोलियों की बौछार कर रहे थे, वहीं 15 वर्षीय एक साहसी किशोरी गोलियों के बीच से लोगों को बचा रही थी। इस जांबाज लड़की का नाम है रूबीना, जिसे अब लोग प्यार से ‘रैबिट गर्ल’ कहने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दौरान रूबीना ने जिस बहादुरी और समझदारी का परिचय दिया, वह पूरे देश के लिए मिसाल बन गया है।
हमले के वक्त रूबीना अपने पालतू खरगोश के साथ पर्यटकों के बीच मौजूद थी। जैसे ही आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू की, लोग इधर-उधर भागने लगे। गोलियों की आवाज और अफरा-तफरी के बीच भी रूबीना ने हिम्मत नहीं हारी। उसने न सिर्फ स्थिति को समझा बल्कि तत्परता दिखाते हुए पास के पर्यटकों को सुरक्षित स्थान की ओर दौड़ाया।
रूबीना ने नजदीकी पर्यटकों को अपने घर में शरण दी। वह उन्हें पीछे के दरवाजे से भीतर लेकर गई और सभी को एक कमरे में छिपा दिया। इसके बाद वह खुद कई बार बाहर गई और आसपास छिपे लोगों को घर लाकर सुरक्षित किया। उस वक्त रूबीना के घर में कुल 11 लोग छिपे हुए थे, जिनकी जान बच गई।
रूबीना ने मीडिया से बातचीत में उस भयावह क्षण का ज़िक्र करते हुए कहा, “हर तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। बच्चे रो रहे थे, लोग दहशत में थे। मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूं, लेकिन जब देखा कि कुछ लोग बच सकते हैं, तो मैं रुक नहीं पाई।”
रूबीना ने बताया कि वह हमले के समय अपने पालतू खरगोश को लेकर टूरिस्ट एरिया के पास टहल रही थी। तभी अचानक गोलियों की आवाज आई और अफरा-तफरी मच गई। उसने कहा, “सब भाग रहे थे, कोई समझ नहीं पा रहा था कि कहां जाएं। मुझे लगा कि मेरे घर में सब सुरक्षित रह सकते हैं, इसलिए मैंने लोगों को अंदर लाना शुरू किया।”
रूबीना के पिता एक दुकानदार हैं और उसकी मां गृहिणी हैं। रूबीना के इस साहसिक कार्य की जानकारी जब स्थानीय प्रशासन और पुलिस को मिली, तो वे भी हैरान रह गए। अधिकारियों ने रूबीना की बहादुरी की सराहना की और आश्वासन दिया कि उसे सम्मानित किया जाएगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रूबीना ने न केवल जान बचाई बल्कि आतंक के माहौल में मानवता और साहस की एक नई मिसाल कायम की है। पड़ोसियों के मुताबिक, “अगर रूबीना समय पर लोगों को अपने घर में शरण न देती, तो बड़ा नुकसान हो सकता था।”
रूबीना की कहानी सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है। लोग उसे ‘कश्मीर की बहादुर बेटी’, ‘छोटी हीरोइन’, ‘रियल लाइफ रैबिट गर्ल’ जैसे नामों से बुला रहे हैं।
कई सामाजिक संगठनों और नेताओं ने भी रूबीना के साहस को सलाम किया है और उसकी शिक्षा व भविष्य को लेकर सहायता देने की बात कही है।
इस हमले ने जहां आतंक की बर्बरता को एक बार फिर उजागर किया है, वहीं रूबीना जैसे साहसी युवाओं ने यह दिखा दिया कि इंसानियत और बहादुरी अब भी जिंदा है।