
नई दिल्ली: चंद्रमा पर पहला मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने की तैयारी अब अपने अंतिम चरण में है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA और टेलीकॉम दिग्गज Nokia मिलकर चंद्रमा की सतह पर 4G मोबाइल नेटवर्क लॉन्च करने जा रहे हैं। यह परियोजना IM-2 मिशन के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर संचार प्रणाली को बेहतर बनाना है। इस नेटवर्क की मदद से न केवल वैज्ञानिक डेटा ट्रांसफर होगा, बल्कि हाई-डेफिनिशन (HD) वीडियो स्ट्रीमिंग भी संभव होगी।
NASA और Nokia का महत्वाकांक्षी मिशन
NASA का उद्देश्य चंद्रमा पर एक स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करना है, और इसके लिए एक मजबूत संचार प्रणाली की आवश्यकता है। Nokia, जो टेलीकॉम सेक्टर की एक अग्रणी कंपनी है, इस मिशन में NASA की साझेदार है। यह मोबाइल नेटवर्क चंद्रमा पर पृथ्वी के समान सेल्युलर तकनीक का उपयोग करेगा, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों और रोबोटिक मिशनों के बीच संचार को आसान बनाया जा सकेगा।
Nokia Bell Labs के अनुसार, यह नेटवर्क पृथ्वी पर इस्तेमाल होने वाले 4G/LTE (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) नेटवर्क पर आधारित होगा और आगे चलकर इसे 5G में अपग्रेड किया जा सकता है। इसका उपयोग न केवल ऑडियो और वीडियो कम्युनिकेशन के लिए किया जाएगा, बल्कि यह रिमोट कंट्रोल ऑपरेशन्स और चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को संचालित करने में भी मदद करेगा।
IM-2 मिशन: क्या है इसका उद्देश्य?
IM-2 मिशन (Intuitive Machines-2 Mission) NASA के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 2030 तक चंद्रमा पर इंसानों की स्थायी उपस्थिति बनाना है। इस मिशन के तहत Nokia का 4G नेटवर्क चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (Lunar South Pole) के पास स्थापित किया जाएगा, जहां NASA भविष्य में एक स्थायी चंद्र आधार बनाना चाहता है।
IM-2 मिशन के तहत चंद्रमा पर भेजी जाने वाली लैंडर और रोवर्स की टीम इस नेटवर्क का उपयोग करेगी। इसके माध्यम से डेटा ट्रांसफर, हाई-डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग और वास्तविक समय (real-time) में वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन किया जा सकेगा।
कैसे काम करेगा चंद्रमा पर 4G नेटवर्क?
Nokia का चंद्रमा पर स्थापित होने वाला 4G नेटवर्क उसी तकनीक पर आधारित होगा, जो हम पृथ्वी पर उपयोग करते हैं। हालांकि, इसे चंद्रमा की विशेष परिस्थितियों के अनुकूल बनाया गया है।
- बेस स्टेशन: यह एक विशेष स्मॉल-सेल नेटवर्क होगा, जिसमें कम पावर में भी उच्च क्षमता का संचार किया जा सकेगा।
- एलटीई (LTE) कनेक्टिविटी: यह लैंडर्स, रोवर्स और अन्य उपकरणों को आपस में जोड़ने का काम करेगा।
- ऊर्जा स्रोत: यह नेटवर्क सौर ऊर्जा (solar power) से संचालित होगा, ताकि यह लंबे समय तक कार्य कर सके।
- रेडिएशन और तापमान सहनशीलता: इसे चंद्रमा की अत्यधिक ठंडी और गर्म परिस्थितियों में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
HD वीडियो स्ट्रीमिंग और संचार में क्रांति
इस नेटवर्क की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि यह वैज्ञानिकों को चंद्रमा से हाई-डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग करने की सुविधा देगा। इससे मिशन टीम को वास्तविक समय में चंद्रमा की सतह की विस्तृत तस्वीरें और वीडियो प्राप्त होंगे।
इसके अलावा, यह सिस्टम अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर कॉलिंग और मैसेजिंग की सुविधा भी दे सकता है। इसका इस्तेमाल रोबोटिक उपकरणों को नियंत्रित करने, संसाधनों की मैपिंग करने और आपातकालीन संचार के लिए भी किया जाएगा।
भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण कदम
NASA और Nokia का यह प्रयास मंगल और उससे आगे के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अगर चंद्रमा पर मोबाइल नेटवर्क सफलतापूर्वक काम करता है, तो इसे मंगल ग्रह पर भी लागू किया जा सकता है।
यह नेटवर्क आर्टेमिस मिशन के अलावा भविष्य में चंद्र खनन (lunar mining) और संसाधन अन्वेषण में भी उपयोगी होगा। इससे न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए संचार आसान होगा, बल्कि वैज्ञानिक प्रयोगों को भी अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।