सॉलिड एवं लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन, लातेहार को शून्य-अपशिष्ट जिला बनाने का लक्ष्य

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सॉलिड एवं लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन, लातेहार को शून्य-अपशिष्ट जिला बनाने का लक्ष्य

लातेहार: 09 फरवरी 2025 को टाउन हॉल, लातेहार में सॉलिड एवं लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएलआरएम) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ उपायुक्त श्री उत्कर्ष गुप्ता, भारतीय हरित सेवा के परियोजना निदेशक व सलाहकार श्री सी. श्रीनिवासन, जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती पूनम देवी, अपर समाहर्ता श्री रामा रविदास, सिविल सर्जन डॉ. अवधेश कुमार सिंह, अनुमंडल पदाधिकारी श्री अजय कुमार रजक, जिला परिषद सदस्य व अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

एसएलआरएम कार्यशाला का उद्देश्य

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जिले में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के वैज्ञानिक और व्यावहारिक पहलुओं को समझाना था। पर्यावरण संरक्षण और संसाधन प्रबंधन को लेकर विस्तृत जानकारी देने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञों ने जिले को शून्य-अपशिष्ट बनाने की दिशा में विभिन्न योजनाओं और रणनीतियों पर चर्चा की।

सॉलिड एवं लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन, लातेहार को शून्य-अपशिष्ट जिला बनाने का लक्ष्य

परियोजना निदेशक श्रीनिवासन का संबोधन

परियोजना निदेशक एवं सलाहकार श्री सी. श्रीनिवासन ने कार्यशाला में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण और पुनर्चक्रण के माध्यम से पर्यावरणीय संकट को कम किया जा सकता है। उन्होंने एसएलआरएम प्रणाली को समझाने के लिए एक डॉक्युमेंटरी फिल्म प्रस्तुत की और प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने कहा कि लातेहार जिले को स्वच्छ, हरित और शून्य-अपशिष्ट जिला बनाने के लिए ठोस रणनीतियों को अपनाना आवश्यक है।

कचरा प्रबंधन की वैज्ञानिक प्रक्रिया

कार्यशाला में बताया गया कि कचरा प्रबंधन को प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्तर पर विभाजित किया जाता है।

  1. प्राथमिक पृथक्करण: यह स्रोत स्तर पर किया जाता है, जिसमें उद्यान अपशिष्ट (सूखे पत्ते), मछली बाजार अपशिष्ट, सब्जी अपशिष्ट आदि को अलग किया जाता है।
  2. द्वितीयक पृथक्करण: यह एसएलआरएम केंद्रों पर किया जाता है, जहां जैविक और अजैविक कचरे को अलग कर पुनर्चक्रण की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  3. तृतीयक पृथक्करण: यह एक सामान्य केंद्र पर किया जाता है, जहां संपूर्ण कचरा वैज्ञानिक रूप से संसाधित किया जाता है।

श्रीनिवासन ने बताया कि जिले में बायो-गैस संयंत्रों की स्थापना भी की जानी चाहिए, जिससे जैविक कचरे को ऊर्जा उत्पादन में बदला जा सके। उन्होंने जिले में तरल संसाधन प्रबंधन केंद्रों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

उपायुक्त का संबोधन

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उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए हमें ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की तकनीकी विधियों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे कचरा प्रबंधन की वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर अपने जिला, गांव और पंचायत को साफ-सुथरा रखने में योगदान दें। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कचरा प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ उठाकर जिले को एक स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल क्षेत्र बनाया जा सकता है।

कार्यशाला में विशेषज्ञों का योगदान

कार्यशाला में उपस्थित विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए और एसएलआरएम के महत्व पर प्रकाश डाला।

  • सिविल सर्जन डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि असंगठित कचरा प्रबंधन से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने के लिए वैज्ञानिक विधियों को अपनाना आवश्यक है।
  • अनुमंडल पदाधिकारी श्री अजय कुमार रजक ने कहा कि इस पहल से जिले में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
  • जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती पूनम देवी ने बताया कि पंचायत स्तर पर एसएलआरएम केंद्रों की स्थापना से गांवों में स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा।

कार्यशाला में व्यापक सहभागिता

इस कार्यशाला में जिला परिषद सदस्य, प्रखंड प्रमुख, जिला स्तरीय पदाधिकारी, लातेहार, मनिका और सरयू प्रखंडों के मुखिया, पंचायत सचिव, पर्यावरण कार्यकर्ता, समाजसेवी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

लातेहार जिले के लिए भविष्य की योजना

कार्यशाला में उठाए गए प्रमुख बिंदुओं में निम्नलिखित शामिल थे:

  1. एसएलआरएम केंद्रों की स्थापना: प्रत्येक पंचायत में ठोस एवं तरल संसाधन प्रबंधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
  2. बायो-गैस संयंत्र: जैविक कचरे के पुनर्चक्रण के लिए बायो-गैस संयंत्रों की स्थापना की जाएगी।
  3. सामुदायिक भागीदारी: आम जनता को कचरा पृथक्करण और पुनर्चक्रण प्रक्रिया में शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
  4. तकनीकी सहायता: वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
सॉलिड एवं लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट पर कार्यशाला का आयोजन, लातेहार को शून्य-अपशिष्ट जिला बनाने का लक्ष्य

यह कार्यशाला लातेहार जिले के कचरा प्रबंधन को वैज्ञानिक और टिकाऊ दिशा देने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। इससे जिले को एक शून्य-अपशिष्ट क्षेत्र बनाने में मदद मिलेगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और स्वच्छता के नए मानदंड स्थापित होंगे। कार्यशाला के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने मिलकर इस पहल को सफल बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

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