
विक्की कौशल स्टारर बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘छावा’ जल्द ही बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है। यह फिल्म मराठा इतिहास के वीर योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, जिनका योगदान भारतीय इतिहास में अमूल्य माना जाता है। हालांकि, फिल्म के ट्रेलर के रिलीज़ होते ही इस पर विवाद भी खड़ा हो गया है।
विवाद का कारण: ऐतिहासिक छवि से छेड़छाड़?
फिल्म को लेकर सबसे बड़ा विवाद उस दृश्य को लेकर है, जिसमें संभाजी महाराज को नाचते हुए दिखाया गया है। महाराष्ट्र के कई मराठा संगठनों और इतिहास प्रेमियों ने इस पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि संभाजी महाराज एक वीर योद्धा थे, और उन्हें नाचते हुए दिखाना उनके गौरवशाली व्यक्तित्व के खिलाफ है।
विवाद को और हवा तब मिली जब महाराष्ट्र के प्रभावशाली नेताओं ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत और राज ठाकरे ने इस सीन को हटाने की मांग की। फिल्म के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने राज ठाकरे से मुलाकात के बाद इस सीन को हटाने का फैसला किया, ताकि लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
फिल्म की कहानी: एक योद्धा की संघर्ष गाथा
‘छावा’ फिल्म संभाजी महाराज के जीवन संघर्ष, उनकी वीरता, नीति, और बलिदान को दिखाती है। फिल्म की कहानी उनके बचपन से लेकर मुगल सम्राट औरंगज़ेब के खिलाफ लड़े गए युद्धों तक फैली हुई है। इतिहास में संभाजी महाराज को एक कुशल प्रशासक और वीर सेनानायक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने कई युद्धों में अपनी रणनीतिक कुशलता का प्रदर्शन किया।
फिल्म का फोकस मुख्य रूप से इन बिंदुओं पर होगा:
- संभाजी महाराज का बचपन और शिक्षा
- शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य को संभालने की चुनौती
- औरंगज़ेब के खिलाफ छेड़ा गया संघर्ष और मुगलों को दी गई कड़ी टक्कर
- धर्म और मराठा संस्कृति की रक्षा के लिए दिया गया बलिदान
अभिनय और निर्देशन
फिल्म में विक्की कौशल ने छत्रपति संभाजी महाराज का किरदार निभाया है। ट्रेलर और पोस्टर्स को देखकर कहा जा सकता है कि विक्की कौशल ने इस भूमिका के लिए कड़ी मेहनत की है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, संवाद अदायगी, और एक योद्धा की झलक देने की कोशिश सराहनीय लगती है।
रश्मिका मंदाना फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं, और उनके किरदार को लेकर भी लोगों में उत्सुकता है। वहीं, अक्षय खन्ना जैसे अनुभवी अभिनेता भी फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे।
निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने इससे पहले ‘लुका छुपी’ और ‘मिमी’ जैसी फिल्में बनाई हैं, जो पूरी तरह से अलग शैली की थीं। ‘छावा’ उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि यह एक ऐतिहासिक फिल्म है और इसमें भावनाओं के साथ-साथ ऐतिहासिक सटीकता का भी ध्यान रखना जरूरी है।
संगीत और सिनेमैटोग्राफी
ऐतिहासिक फिल्मों में संगीत और बैकग्राउंड स्कोर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ‘छावा’ का संगीत दमदार लग रहा है, और मराठी संस्कृति की झलक इसमें साफ देखी जा सकती है। युद्ध के दृश्यों में वीर रस से भरे गीत और पारंपरिक मराठा वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया गया है।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भव्य लगती है। ट्रेलर में युद्ध के विशाल मैदान, ऐतिहासिक किले, और भव्य दरबार का बेहतरीन चित्रण दिखाया गया है, जिससे फिल्म को एक ग्रैंड लुक मिलता है।
क्या फिल्म ऐतिहासिक रूप से सटीक होगी?
ऐतिहासिक फिल्मों की सबसे बड़ी चुनौती होती है कि वे कितनी सटीकता से इतिहास को प्रस्तुत करती हैं। ‘छावा’ पर विवाद भी इसी कारण हुआ है कि कुछ लोगों को लग रहा है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है।
मराठा संगठनों ने मांग की है कि फिल्म को इतिहासकारों और विशेषज्ञों की समीक्षा के बाद ही रिलीज किया जाए, ताकि इसमें किसी भी तरह की गलती न हो। इससे पहले भी ‘पद्मावत’ और ‘तान्हाजी’ जैसी फिल्मों पर ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर विवाद हुआ था, इसलिए ‘छावा’ को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।
क्या दर्शकों को यह फिल्म पसंद आएगी?
यदि फिल्म संभाजी महाराज की वीरता और संघर्ष को सही तरीके से दिखाने में सफल होती है, तो निश्चित रूप से इसे दर्शकों का भरपूर समर्थन मिलेगा।
- जो दर्शक ऐतिहासिक फिल्मों को पसंद करते हैं, उन्हें यह फिल्म जरूर आकर्षित करेगी।
- यदि फिल्म में ज्यादा काल्पनिक तत्व जोड़ दिए गए, तो यह विवाद का कारण बन सकती है।
- यदि फिल्म के युद्ध के दृश्य और संवाद प्रभावशाली होंगे, तो यह एक यादगार फिल्म साबित हो सकती है।
‘छावा’ एक महत्वाकांक्षी ऐतिहासिक फिल्म है, जो भारत के वीर योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है। हालांकि, फिल्म के एक दृश्य को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, लेकिन इसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
अगर फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों का सही चित्रण किया गया और विक्की कौशल का अभिनय प्रभावशाली रहा, तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हो सकती है। अब देखना यह है कि 14 फरवरी 2025 को रिलीज़ होने के बाद यह फिल्म दर्शकों और आलोचकों की कसौटी पर कितनी खरी उतरती है।