- वन संरक्षण, जंगली तथा पालतू जानवर व पेड़ पौधों सहित सूक्ष्म जंतु के जीवन की सुरक्षा सहित कई तकनीकी पहलुओं से जुड़ी अहम जानकारी हासिल किये प्रशिक्षणार्थी
- जैव विविधता अधिनियम 2002 के तहत कमिटियों को मिले हैं कई पावर
- विलुप्त हो रहे प्रजातियों फिर से स्थापित करने में सहायता मिलेगी
- वनों की उपज मसलन औषधीय पौधों व अन्य वन उत्पादों के निगरानी तथा खरीद बिक्री का अधिकार वन विभाग की बजाए स्थानीय कमेटी की देखरेख में ही किया जाना है।
भरनो – (गुमला)। भरनो प्रखंड के सभी 12 पंचायतों का जैव विविधता परिषद के पंचायत स्तरीय कमिटियों का प्रशिक्षण सफलता पूर्वक संपन्न होगा.दुम्बो पंचायत सचिवालय एवं पंचायत सचिवालय दक्षिणी भरनो में संपन्न हुआ.इस प्रशिक्षण में भरनो प्रखंड के सभी 12 पंचायतों के प्रतिनिधि भाग लिया.
दुम्बो पंचायत सचिवालय मे प्रशिक्षण हुआ जिसमे दुम्बो पंचायत, करंज पंचायत,डुम्बो पंचायत ,करौदाजोर पंचायत, डुड़िया पंचायत , आताखोर पंचायत के प्रतिनिधि भाग लिये.वही दक्षिणी भरनो पंचायत सचिवालय प्रशिक्षण हुआ जिसमें दक्षिणी भरनो पंचायत, उत्तरी भरनो पंचायत, अमलिया पंचायत, मारासीली पंचायत, सुपा पंचायत, व तुरिअम्बा पंचायत के प्रतिनिधि ने भाग लिया.
झारखंड में वन संरक्षण, जंगली तथा पालतू जानवर व पेड़ पौधों सहित सूक्ष्म जंतु के जीवन की सुरक्षा तथा विकास के वास्ते योजना तैयार कर उसके क्रियान्वयन का अधिकार पंचायत स्तर पर बनी जैव विविधता समिति को हासिल है। इन समितियां के कार्य और उत्तरदायित्व तथा समुचित क्रियान्वयन को लेकर भरनो प्रखंड के सभी 12 पंचायत कमेटी सदस्यों का सफलतापूर्वक प्रशिक्षण संपन्न हो गया.
जीव जंतु पेड़ पौधों के संरक्षण के वास्ते मिले कानूनी अधिकार की बेहतर समझ तथा प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के वास्ते हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन रांची की ओर से प्रशिक्षण दिया गया.
झारखंड जैव विविधता परिषद के सहयोग से यह प्रशिक्षण संचालित किया गया.
इन सभी पंचायत का प्रशिक्षण झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग के मास्टर ट्रेनर शांति बड़ाईक एवं रणधीर के द्वारा दिया गया.
शंभू एस चौहान कोऑर्डिनेटर ने कहा कि वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के अलावा जीव जंतु के संवर्धन संरक्षण में यह कमेटी विशेष योगदान देगी. इन कमेटी को मिले संवैधानिक राइट से वनों एवं जीव जंन्तु के संरक्षण होगा. साथ ही विलुप्त हो रहे प्रजातियों फिर से स्थापित करने में सहायता मिलेगी
हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन रांची की ओर से संचालित प्रशिक्षण में बतौर मास्टर ट्रेनर तैनात शांति बड़ाईक ने बताया कि जैव विविधता अधिनियम 2002 के तहत पंचायत स्तर पर कमिटी का गठन कर गठित कमेटी को प्राधिकृत किया गया है कि वह जंगली पेड़ पौधों जीव जंतुओं तथा सूक्ष्म जंतुओं के संरक्षण संवर्धन तथा विकास के लिए हर आवश्यक उपाय करने के वास्ते लोगों को जागरूक तथा प्रेरित करें। सरकारी पर्यवेक्षक की मौजूदगी में मुखिया की अध्यक्षता में गठित हुई इन कमेटियों के चयन के वास्ते विधिवत ग्राम सभा आयोजित की गई थी। वर्ष 2018 में ही जैव विविधता प्रबंधन समिति का प्रत्येक पंचायत में गठन कर लिया गया था। इसके तहत केंद्र व राज्य सरकार के स्तर से फंड के इंतजाम का प्रावधान है। प्रत्येक पंचायत में इसके कार्यालय के लिए पंचायत सचिवालय में कमरा अलॉट करने सहित कार्यालय के विधिवत संचालन के वास्ते कुर्सी टेबल व अन्य उपष्कर की राशि झारखंड के जैव विविधता परिषद की ओर से देने का प्रावधान भी किया गया है।वनों की उपज मसलन औषधीय पौधों व अन्य वन उत्पादों के निगरानी तथा खरीद बिक्री का अधिकार वन विभाग की बजाए स्थानीय कमेटी की देखरेख में ही किया जाना है। स्थानीय स्तर पर आयोजित होने वाले हाट बाजार में लगने वाले आढ़त या धार व्यापारियों के पंजीकरण का अधिकार व उनसे व्यापार कर के तौर पर दो फ़ीसदी की विनिर्धारित राशि के वसूली के वास्ते भी संबंधित कमिटियां ही प्राधिकृत की गई है। इस मद में प्राप्त राशि को वन संरक्षण तथा जैव विकास के कार्य में ही लगाए जाने का निर्देश है। कमिटी को स्थानीय स्तर पर दुर्लभ प्रजाति के वन उत्पादों के संबंध में जानकारी हासिल कर उन्हें चिन्हित करते हुए सूचीबद्ध करने व उनके संवर्द्धन का भी निर्देश दिया गया है।हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत प्रशिक्षणार्थी कमिटी सदस्यों ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि हमें कमेटी में शामिल तो जरूर किया गया था पर हमारे अधिकार कर्तव्य और दायित्वों की हमें ठीक-ठाक जानकारी नहीं थी। प्रशिक्षण के क्रम में इस संबंध में विस्तार के साथ हमें जानकारी दी गई तो हमें अवश्य मालूम हुआ कि यह कमिटी अत्यधिक पावरफुल है और इसके माध्यम से पर्यावरण के संरक्षण संवर्धन का एक बड़ा अवसर हमारे हाथों में है।इस अवसर पर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होकर वनों के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लिया.