
लातेहार: झारखंड के लातेहार जिले में माओवादी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए पुलिस एवं सुरक्षा बलों का संयुक्त अभियान लगातार जारी है। पलामू जिले से 4 अप्रैल 2001 को अलग होकर बने लातेहार जिले की भौगोलिक परिस्थिति ने इसे वर्षों तक माओवादी गतिविधियों का केंद्र बनाए रखा। माओवादियों के प्रभाव को खत्म करने हेतु झारखंड पुलिस, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), COBRA एवं झारखंड जगुआर की टीमें मिलकर विभिन्न अभियानों को अंजाम देती रही हैं।
गौरतलब है कि लातेहार जिले में माओवादी एवं उनके सहयोगी संगठनों जैसे TSPC, JJMP, PLFI आदि के विरुद्ध निरंतर अभियान चलाए गए हैं। पिछले वर्षों में ऑपरेशन ऑक्टोपस और डबल बुल ऑपरेशन जैसे संयुक्त अभियानों ने माओवादियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। डबल बुल ऑपरेशन के तहत लातेहार, लोहरदगा एवं गुमला जिले में माओवादियों के बंकरों को नष्ट कर बड़ी संख्या में हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए। इस दौरान भाकपा (माओवादी) के रीजनल कमिटी सदस्य रविंद्र गंझू के दस्ते को बड़ा नुकसान पहुंचा और कई उग्रवादी गिरफ्तार हुए या आत्मसमर्पण को विवश हुए।
ऑपरेशन ऑक्टोपस वर्ष 2022 में झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित माओवादियों के गढ़ बुढ़ा पहाड़ को नक्सल मुक्त करने के उद्देश्य से शुरू किया गया। इस अभियान में सुरक्षा बलों को बारूदी सुरंगों, आईईडी और माओवादियों की गोलियों का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, सुरक्षा बलों ने कई अस्थायी पिकेट बनाकर बुढ़ा पहाड़ और आसपास के इलाकों को माओवादियों से मुक्त कर दिया।
इस अभियान का सबसे बड़ा प्रभाव यह रहा कि अब माओवादियों के कई बड़े नेता आत्मसमर्पण कर रहे हैं। कुमार गौरव, पुलिस अधीक्षक, लातेहार के नेतृत्व में लातेहार पुलिस द्वारा चलाए गए अभियानों से जिले में माओवादियों का प्रभाव पहले की तुलना में काफी कम हो गया है। हाल के महीनों में कई शीर्ष उग्रवादी गिरफ्तार हुए हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
इसी क्रम में दिनांक 15 अप्रैल 2025 को दो इनामी माओवादियों – अमरजीत उर्फ काली उर्फ सनी बिरजिया (उम्र 19 वर्ष, निवासी पुन्दाग, जिला बलरामपुर, छत्तीसगढ़) एवं मिथिलेश उर्फ अखिलेश कोरवा (उम्र 28 वर्ष, निवासी चुनचुना पंचफेड़ी, बलरामपुर) – ने पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव के समक्ष आत्मसमर्पण किया। ये दोनों उग्रवादी कई वर्षों से भाकपा माओवादी के शीर्ष नेताओं के साथ सक्रिय थे और छिपादोहर, बारेसाढ़, महुआडांड़, नेतरहाट व बुढ़ा पहाड़ क्षेत्र में कई आपराधिक घटनाओं में शामिल रहे।
इन दोनों पर पहले से गंभीर धाराओं में मामला दर्ज था। इनका नाम वर्ष 2020 के छिपादोहर थाने में दर्ज मामलों में आया था, जिसमें हत्या के प्रयास, पुलिस पर हमला, रंगदारी जैसे आरोप शामिल हैं। आत्मसमर्पण के पश्चात सरकार की “नई दिशा” पुनर्वास नीति के तहत उन्हें नकद सहायता, भूमि, बच्चों की शिक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
लातेहार पुलिस द्वारा चलाए गए इन अभियानों का एक अन्य सकारात्मक पहलू यह भी रहा है कि अब माओवादी क्षेत्रों में सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। नेतरहाट, महुआडांड, गारु, बारेसाढ़, छिपादोहर आदि क्षेत्रों में पुलिस लगातार ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, राशन, पेयजल एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्य कर रही है।
लातेहार जिले में नक्सल प्रभाव अब काफी हद तक कम हो चुका है। श्री कुमार गौरव के नेतृत्व में लगातार दबिश और माओवादियों के विरुद्ध आक्रामक रुख ने उग्रवादी संगठनों की कमर तोड़ दी है। इसके साथ ही आम जनता के बीच विश्वास और सुरक्षा की भावना भी प्रबल हुई है।
लातेहार पुलिस एवं सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई राज्य में शांति, सुरक्षा और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार की पुनर्वास नीति और पुलिस की रणनीतिक कार्यशैली के कारण आने वाले समय में झारखंड के अन्य माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में भी इसी प्रकार के परिणाम देखने को मिल सकते हैं।