
रांची: केंद्रीय सरना स्थल के पास बन रहे फ्लाईओवर के रैंप के विरोध में आदिवासी संगठनों ने शनिवार को रांची बंद बुलाया, जिसके चलते शहर में कई स्थानों पर सड़क जाम हो गया। इस विरोध प्रदर्शन के कारण आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
मशाल जुलूस के बाद ऐलान हुआ था बंद
संयुक्त आदिवासी संगठनों ने पहले ही इस बंद का ऐलान कर दिया था। शुक्रवार शाम को जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम से अलबर्ट एक्का चौक तक एक भव्य मशाल जुलूस निकाला गया था, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। संगठन के नेताओं ने कहा था कि यह विरोध ऐतिहासिक होगा और सरकार को उनकी मांगों पर ध्यान देना होगा।
फ्लाईओवर के रैंप का विरोध क्यों?
आदिवासी संगठन केंद्रीय सरना स्थल के पास बन रहे फ्लाईओवर के रैंप का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह रैंप धार्मिक स्थल की पवित्रता को नुकसान पहुंचाएगा और उनकी सांस्कृतिक विरासत को खतरे में डालेगा। संगठनों का मानना है कि सरकार को इस परियोजना पर पुनर्विचार करना चाहिए और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी, जगह-जगह जाम
शनिवार सुबह से ही बंद समर्थक सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कई स्थानों पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया और यातायात अवरुद्ध कर दिया। कुछ स्थानों पर बसों और अन्य वाहनों की आवाजाही ठप हो गई, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।
पुलिस और प्रशासन ने बनाई रणनीति
बंद को लेकर रांची जिला प्रशासन और पुलिस पूरी तरह सतर्क थी। शहर और उसके आसपास के इलाकों में लगभग 1,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। रांची के उपायुक्त (डीसी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने पहले ही निर्देश जारी कर दिए थे कि शांति व्यवस्था बनी रहे और किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो।
आम जनता हुई परेशान
बंद के कारण रांची के कई इलाकों में बाजार बंद रहे, स्कूल-कॉलेजों की उपस्थिति प्रभावित हुई और कार्यालयों में भी कम लोग पहुंचे। जिन लोगों को जरूरी काम से बाहर जाना था, उन्हें वाहनों की कमी और ट्रैफिक जाम की वजह से काफी दिक्कत हुई।
सरकार का क्या कहना है?
अब तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस बयान नहीं आया है। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारी प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर रहे हैं ताकि कोई समाधान निकाला जा सके।
क्या होगा आगे?
संयुक्त आदिवासी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को बचाने के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
बंद के असर को देखते हुए अब प्रशासन और सरकार के अगले कदम पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।