झारखंड सरकार राज्य के बालू घाट संचालन नियमावली में बदलाव करने की तैयारी में है। यह बदलाव राज्य में बालू से होने वाली आय को बढ़ाने और बालू घाटों के संचालन में सुधार लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। राज्य सरकार बिहार और बंगाल के मॉडल को अपनाने पर विचार कर रही है, ताकि बालू के कारोबार को व्यवस्थित किया जा सके और उसकी बिक्री से राजस्व में वृद्धि हो सके। इस संदर्भ में एक कमेटी का गठन भी किया गया है, जो बालू घाटों के संचालन की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करेगी और सुधार के उपायों पर विस्तृत अध्ययन करेगी।
बालू घाटों का मौजूदा संचालन:
झारखंड राज्य में कुल 444 बालू घाट हैं, लेकिन इन घाटों में से केवल 22 घाट ही सक्रिय रूप से संचालित हो पा रहे हैं। इससे राज्य सरकार को बालू से मिलने वाली आय में भारी कमी हो रही है। वर्तमान में, राज्य में बालू की भारी कमी महसूस की जा रही है, जो विकास कार्यों में रुकावट डाल रही है। बालू का उपयोग सड़क निर्माण, भवन निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में किया जाता है। बालू की उपलब्धता में कमी से इन कार्यों में देरी हो रही है, जो राज्य की विकास दर को प्रभावित कर रहा है।
बदलाव की आवश्यकता:
बालू घाटों का संचालन ठीक ढंग से न होने के कारण राज्य सरकार ने इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए नियमावली में बदलाव की योजना बनाई है। सरकार का मानना है कि अगर बालू घाटों का संचालन सही तरीके से हो, तो न केवल राज्य की आय बढ़ेगी, बल्कि विकास कार्यों के लिए आवश्यक बालू की आपूर्ति भी सुचारू रूप से हो सकेगी। इसके अलावा, बालू के अवैध खनन और अव्यवस्थित संचालन को रोकने में भी मदद मिलेगी, जिससे पर्यावरणीय नुकसान को भी कम किया जा सकेगा।
बिहार और बंगाल के मॉडल का अनुसरण:
बालू घाटों के बेहतर संचालन के लिए राज्य सरकार बिहार और पश्चिम बंगाल के मॉडल को अपनाने का विचार कर रही है। इन दोनों राज्यों ने बालू खनन और वितरण के लिए सख्त नियम बनाए हैं, जिससे न केवल अवैध खनन पर नियंत्रण पाया गया है, बल्कि राज्य को बेहतर राजस्व भी प्राप्त हुआ है। बिहार में बालू घाटों का संचालन एक व्यवस्थित तरीके से किया जाता है, और यहां के मॉडल को झारखंड में लागू करने से राज्य में भी पारदर्शिता बढ़ेगी और खनन से होने वाली आय में वृद्धि हो सकती है।
कमेटी का गठन और कार्य:
बालू घाटों के संचालन में सुधार के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है, जो बालू खनन के वर्तमान स्वरूप, नियमों और संचालन प्रक्रिया का गहराई से अध्ययन करेगी। यह कमेटी बालू घाटों के संचालन में सुधार के लिए संभावित उपायों पर विचार करेगी और सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। कमेटी में विशेषज्ञों, अधिकारियों और उद्योग प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है, जो बालू घाटों के संचालन में सुधार के लिए अपनी सिफारिशें देंगे।
बालू घाटों के संचालन में सुधार के उपाय:
कमेटी के द्वारा सुझाए गए उपायों में बालू खनन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, तकनीकी रूप से दक्ष कर्मचारियों की नियुक्ति, और घाटों के संचालन में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देना शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, घाटों पर निगरानी को और कड़ा किया जाएगा, ताकि अवैध खनन और शोषण को रोका जा सके। एक स्थिर और संरचित व्यवस्था लागू करने से न केवल राज्य को बेहतर राजस्व मिलेगा, बल्कि इससे बालू की आपूर्ति में भी स्थिरता आएगी, जो विकास कार्यों में मददगार होगी।
राज्य सरकार का दृष्टिकोण:
झारखंड सरकार का लक्ष्य बालू घाटों का संचालन ऐसे तरीके से करना है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और साथ ही पर्यावरणीय नुकसान भी कम किया जा सके। सरकार का मानना है कि बालू घाटों के संचालन में पारदर्शिता और नियमन को बढ़ावा देने से न केवल बालू की आपूर्ति में सुधार होगा, बल्कि इससे विकास कार्यों में तेजी आएगी और अवैध खनन पर भी काबू पाया जा सकेगा।
बालू घाट संचालन नियमावली में बदलाव की योजना झारखंड के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अगर इस बदलाव के माध्यम से बालू के खनन और वितरण को व्यवस्थित किया जाता है, तो इससे न केवल राज्य को बढ़ी हुई आय मिलेगी, बल्कि विकास कार्यों की गति भी तेज होगी। सरकार द्वारा गठित कमेटी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकती है और झारखंड को एक मजबूत और व्यवस्थित बालू खनन प्रणाली प्रदान कर सकती है।