गढ़वा : झारखंड के गढ़वा जिले में गुरुवार की सुबह पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। तस्करी के लिए ले जाए जा रहे करीब 500 से अधिक गोवंशीय पशुओं को बरामद किया गया है। यह कार्रवाई विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की सूचना पर गढ़वा पुलिस ने की। फिलहाल सभी पशुओं को गढ़वा थाना परिसर में रखा गया है। इस मामले में पुलिस ने एक युवक को हिरासत में लिया है, जबकि उसके दो साथी मौके से फरार हो गए।
कैसे हुई कार्रवाई?
गढ़वा पुलिस को गुरुवार सुबह सूचना मिली कि पशु तस्करी के लिए बड़ी संख्या में गोवंशीय पशुओं को गाड़ियों से लाया जा रहा है। यह सूचना विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पुलिस को दी थी। जानकारी के अनुसार, तस्कर इन पशुओं को बड़े कंटेनर ट्रकों से उत्तर प्रदेश से गढ़वा लाते हैं और यहां से कच्चे रास्तों का इस्तेमाल कर अन्य जिलों और राज्यों में भेजते हैं।
इस सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस और कार्यकर्ता संयुक्त रूप से नवादा गांव पहुंचे। यहां रेलवे लाइन के किनारे बने कच्चे रास्तों से पशुओं को ले जाया जा रहा था। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने सभी पशुओं को जब्त कर लिया और थाना परिसर में सुरक्षित लाया।
पुलिस ने पकड़ा एक युवक, दो फरार
पशुओं को गढ़वा थाना लाए जाने के दौरान एक अलग घटनाक्रम सामने आया। सदर अस्पताल के पास एक ही बाइक पर तीन युवक सवार होकर आए और विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं से उलझने का प्रयास करने लगे। तभी मौके पर मौजूद पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान दो युवक भाग निकले, लेकिन एक युवक पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया। पुलिस फिलहाल उससे पूछताछ कर रही है और उसके नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
लंबे समय से मिल रही थी सूचना
इस कार्रवाई के बाद सामाजिक कार्यकर्ता सोनू सिंह ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल को पहले से ही जानकारी मिल रही थी कि पशु तस्कर बड़े कंटेनरों में गोवंशीय पशुओं को छिपाकर लाते हैं। गढ़वा पहुंचने के बाद तस्कर इन पशुओं को कंटेनर से उतारकर कच्चे रास्तों से जिले के बाहर भेज देते हैं। सोनू सिंह के मुताबिक, गुरुवार को भी इसी तरह की सूचना मिली थी। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पुलिस को सतर्क किया और छापेमारी की गई।
पुलिस व प्रशासन की भूमिका
गढ़वा पुलिस की इस कार्रवाई को जिले में चल रही पशु तस्करी पर बड़ी चोट माना जा रहा है। अब तक की जानकारी के अनुसार, बरामद किए गए सभी गोवंशीय पशुओं को गढ़वा थाना परिसर में रखा गया है। पुलिस प्रशासन ने इनके संरक्षण और सुरक्षा के लिए अस्थायी व्यवस्था की है।
गढ़वा थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। पशु तस्करों का नेटवर्क कहां-कहां फैला हुआ है और इस काम में कितने लोग शामिल हैं, इसकी पड़ताल की जाएगी। हिरासत में लिए गए युवक से पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिलने की संभावना है।
सामाजिक और धार्मिक संगठनों की चिंता
पशु तस्करी का यह मामला स्थानीय स्तर पर बड़ी बहस का विषय बन गया है। धार्मिक संगठन लगातार इस पर चिंता जता रहे हैं और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कहा है कि यदि इस तरह की घटनाओं पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो सामाजिक तनाव भी बढ़ सकता है। उनका कहना है कि पुलिस को ऐसे तस्करों पर नकेल कसने के लिए नियमित अभियान चलाना चाहिए।
जिले में तस्करी का पैटर्न
गढ़वा जिला उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि तस्कर अक्सर इस क्षेत्र का इस्तेमाल ट्रांजिट रूट के रूप में करते हैं। कंटेनरों में पशुओं को भरकर पहले गढ़वा लाया जाता है और फिर यहां से ग्रामीण इलाकों के कच्चे रास्तों के जरिए दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। यह तरीका तस्करों के लिए सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि पक्की सड़कों पर पुलिस की निगरानी ज्यादा रहती है।
प्रशासन की चुनौती
हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में पशुओं का बरामद होना इस बात की ओर इशारा करता है कि तस्करी का नेटवर्क काफी मजबूत है। पुलिस और प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती है कि किस तरह से इस पूरे तंत्र को ध्वस्त किया जाए। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और बरामद किए गए पशुओं की गिनती की जा रही है।