
संवाददाता: अनुज तिवारी,
पलामू — “भाषा पर हमला, व्यक्ति की निजता, संस्कृति और अस्मिता पर हमला है। इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा,” यह बात पलामू के युवा नेता आशीष भारद्वाज ने राज्य सरकार की भाषा नीति पर प्रतिक्रिया देते हुए कही।
JTET परीक्षा को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी नियमावली में पलामू और गढ़वा जिलों के लिए क्षेत्रीय भाषा के रूप में नागपुरी को शामिल किया गया है, जिससे स्थानीय युवाओं और अभ्यर्थियों में गहरी असहमति है। इसी मुद्दे को लेकर आज आशीष भारद्वाज के नेतृत्व में सैकड़ों युवाओं और जे टी ई टी अभ्यर्थियों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) पलामू से मुलाकात कर क्षेत्रीय भाषा के रूप में मगही तथा पलमुआ बोली को मान्यता देने की मांग की।
“25 लाख से अधिक लोग सिर्फ पलामू-गढ़वा में इस ‘माई बोली’ को बोलते हैं, जबकि पूरे झारखंड में यह संख्या 75 लाख से ज्यादा है। यह कोई मामूली संख्या नहीं है,” श्री भारद्वाज ने कहा।
वार्ता के दौरान उन्होंने मगही, पलमुआ और भोजपुरी भाषाओं के भेद को खुद बोलकर जिला शिक्षा पदाधिकारी को समझाया। DEO ने एक घंटे से अधिक समय तक विस्तृत चर्चा करते हुए सभी सुझावों को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि वे इन बिंदुओं को अपने सुझाव पत्र में शामिल कर राज्य सरकार को भेजेंगे।

श्री भारद्वाज का आरोप था कि राज्य सरकार बार-बार भाषा और नियोजन नीति के नाम पर पलामू और गढ़वा के लोगों को अपमानित करती रही है। उन्होंने कहा,
“मुख्यमंत्री जी का रवैया यह दर्शाता है कि वे पलामू प्रमंडल को झारखंड का हिस्सा मानते भी हैं या नहीं। अगर मानते हैं तो फिर यह सौतेला व्यवहार क्यों?”
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पलामू के लोगों के अधिकारों को लगातार नजरअंदाज किया गया, तो यह लड़ाई और तेज होगी।
“पलामू क्रांति की धरती रही है। हम अपने स्वाभिमान की लड़ाई लड़ना जानते हैं और लड़ते रहेंगे।”
इस अवसर पर रवि शर्मा, नवीन तिवारी, शैलेश तिवारी, मधुकर शुक्ला, अजीत पाठक, चंदा झा, संदीप प्रसाद, दीपक प्रसाद, चंद्रकांत सिंह, मुकेश सिंह, शिवनारायण साव, प्रभात सिंह, गोलू मेहता, संजीत पांडेय, प्रकाश विश्वकर्मा, दिलीप गिरी, अंकित उपाध्याय, राज पांडेय, राजन पांडेय, अंकित आरंभ, सुजीत गुप्ता, प्रभात मिश्रा सहित बड़ी संख्या में युवा और JTET अभ्यर्थी उपस्थित रहे।