- शिक्षा, संस्कार और सृजन का संगम, प्रकृति की गोद में मिला नवअनुभव
लातेहार, झारखंड | चेतना इंटरनेशनल स्कूल द्वारा आयोजित समर कैंप का समापन समारोह इस बार एक विशेष रूप से यादगार और प्रेरणादायक अंदाज़ में नदी तट पर सम्पन्न हुआ। बच्चों की खिलखिलाहट, शिक्षकों की सृजनात्मक सोच और प्रकृति की अनुपम छटा के बीच यह आयोजन एक जीवंत अनुभव बनकर उभरा।
समर कैंप के अंतिम दिन विद्यालय के नन्हें छात्र-छात्राएं पीले रंग की यूनिफॉर्म में उल्लास के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे। तट पर बनाए गए रंग-बिरंगे स्टूल, बेंच और शिक्षण सामग्री से सुसज्जित ‘ओपन क्लासरूम’ ने प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा के एक नए स्वरूप की झलक दी। इस मौके पर आयोजित गतिविधियों में पर्यावरण जागरूकता, चित्रकला, कहानी वाचन, और गीत-संगीत बच्चों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा—मुख्य मंच पर प्रदर्शित संदेश “Save River, Save Life”। इस संदेश ने न सिर्फ बच्चों में जल-संरक्षण की भावना को जागृत किया, बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के प्रति भी एक नई चेतना उत्पन्न की। शिक्षकों ने बच्चों के साथ मिलकर प्लास्टिक के उपयोग से दूरी, स्वच्छता के महत्व और प्रकृति से प्रेम पर संवाद किया।
निदेशक आर्यन गर्ग का प्रेरणादायक वक्तव्य:
विद्यालय के निदेशक श्री आर्यन गर्ग ने अपने वक्तव्य में कहा:
“आज के इस समापन समारोह में हम बच्चों को प्रकृति के सबसे निकट लाए हैं, जहाँ वे किताबों से परे अनुभव की शिक्षा ले रहे हैं। चेतना इंटरनेशनल स्कूल का यह प्रयास सिर्फ एक समर कैंप नहीं, बल्कि भविष्य की शिक्षा प्रणाली की ओर एक रचनात्मक कदम है—जहाँ विद्यार्थी खुले आकाश के नीचे, नदी की बहती धारा के साथ सीखना और महसूस करना सीखें। हम चाहते हैं कि बच्चे सिर्फ अच्छे विद्यार्थी नहीं, बल्कि संवेदनशील नागरिक बनें, जो अपने पर्यावरण और समाज के प्रति जागरूक हों।”
उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि आने वाले समय में चेतना इंटरनेशनल स्कूल इसी तरह के नवाचारों से बच्चों को एक समग्र, मूल्यनिष्ठ और जीवनोपयोगी शिक्षा प्रदान करता रहेगा।
समर कैंप: बाल सृजन का उत्सव
अभिभावकों और स्थानीय समुदाय ने स्कूल की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ बच्चों के भीतर आत्मविश्वास, रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीज बोती हैं। विद्यालय प्रबंधन द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि ऐसे आयोजन भविष्य में भी जारी रहेंगे ताकि शिक्षा एक जीवन-पद्धति बने, न कि केवल परीक्षा तक सीमित रहे।