
सनी देओल, जिनकी वापसी ने 2023 में ‘गदर 2’ के जरिए बॉक्स ऑफिस पर तूफान ला दिया था, एक बार फिर ‘जाट’ फिल्म के जरिए दर्शकों के सामने आए हैं। गोपीचंद मिलेननी के निर्देशन में बनी इस फिल्म को लेकर काफी उम्मीदें थीं, खासकर सनी देओल के फैंस के बीच। लेकिन क्या ‘जाट’ भी ‘गदर 2’ की तरह बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रच पाई है या फिर यह फिल्म केवल एक क्रेज बनकर रह गई? चलिए जानते हैं विस्तार से।
कहानी का सार:
‘जाट’ एक एक्शन-ड्रामा फिल्म है जिसमें तगड़ा देसी तड़का, संवादों की गूंज और ढेर सारे एक्शन सीक्वेंस हैं। कहानी एक ऐसे जाट के इर्द-गिर्द घूमती है जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है और अपने परिवार, गांव और आत्मसम्मान के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है। फिल्म की स्क्रिप्ट में देशभक्ति, भावनाएं और पुरानी हिंदी फिल्मों वाला ‘मसाला’ भरपूर है।
एक्टिंग और किरदार:
सनी देओल हमेशा से ही एक्शन और इमोशन में माहिर रहे हैं। ‘जाट’ में भी वे अपनी दमदार आवाज, शक्तिशाली डायलॉग डिलीवरी और फिजिकल प्रजेंस के साथ नजर आते हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या यह है कि उनका किरदार ‘तारा सिंह’ की परछाई से बाहर निकल नहीं पाया है। दर्शकों को हर बार वही ‘ढाई किलो का हाथ’ वाला स्टाइल चाहिए, लेकिन हर बार वही जादू दोहराया नहीं जा सकता।
फिल्म की हीरोइन और साइड कैरेक्टर्स का अभिनय औसत रहा। खलनायक के रूप में दिखने वाला किरदार थोड़ा ज्यादा ड्रामेटिक और ओवर द टॉप लगा।
निर्देशन और तकनीकी पक्ष:
गोपीचंद मिलेननी ने एक देसी फिल्म को बहुत ही भारी-भरकम लुक देने की कोशिश की है। सिनेमैटोग्राफी बढ़िया है, एक्शन सीन्स अच्छे से फिल्माए गए हैं। लेकिन फिल्म की एडिटिंग कमजोर रही, खासकर दूसरे हाफ में फिल्म बहुत खिंची हुई लगती है। कुछ दृश्य बेहद मेलोड्रैमेटिक हैं और आज के दर्शकों को शायद ये उतने पसंद न आएं।
म्यूजिक और डायलॉग्स:
फिल्म के गाने औसत हैं, न कोई गाना जुबां पर चढ़ता है और न ही कोई थीम म्यूजिक ‘गदर 2’ जैसा प्रभाव छोड़ता है। डायलॉग्स में जरूर कुछ पंच हैं, जो सनी देओल के फैंस को पसंद आ सकते हैं, लेकिन उसमें भी ताजगी की कमी दिखती है।
बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन:
फिल्म ने पहले दिन औसतन 5-7 करोड़ की ओपनिंग ली है, जो कि ‘गदर 2’ की तुलना में बहुत कम है। ‘गदर 2’ ने पहले दिन लगभग 40 करोड़ का आंकड़ा छू लिया था। इस तुलना में ‘जाट’ की शुरुआत फीकी रही। हालांकि सनी देओल की स्टार पावर ने फिल्म को एक स्टार्ट तो दिया है, लेकिन अगर कंटेंट दमदार नहीं हुआ, तो माउथ पब्लिसिटी इसे और गिरा सकती है।
गदर 2 बनाम जाट – तुलना:
‘गदर 2’ की सबसे बड़ी ताकत उसकी नॉस्टैल्जिया वैल्यू और मजबूत इमोशनल कनेक्शन था। 22 साल बाद वही तारा सिंह, वही साक्षी और वही अंदाज लोगों को सिनेमा हॉल तक खींच लाया। वहीं ‘जाट’ में यह इमोशनल कनेक्शन नहीं बन पाया। फिल्म सिर्फ सनी देओल की छवि पर टिकी रही, और कंटेंट में कोई नई बात नहीं थी।
‘गदर 2’ में देशभक्ति, पारिवारिक भावना और नॉस्टैल्जिया का अद्भुत मिश्रण था। लेकिन ‘जाट’ में न तो कहानी में ताजगी है, न ही भावनाओं की गहराई।
‘जाट’ एक कोशिश है सनी देओल के पुराने स्वैग को दोहराने की, लेकिन अब दर्शकों की अपेक्षाएं बदल चुकी हैं। सिर्फ एक्शन और भारी डायलॉग्स से फिल्में नहीं चलतीं, उन्हें कहानी और भावना में भी वजन चाहिए। ‘गदर 2’ की सफलता एक चमत्कार थी, लेकिन ‘जाट’ उस जादू को दोहराने में नाकाम रही।
रेटिंग: ⭐⭐⭐ (5 में से 2.5 स्टार)