
बरहरवा। मिर्जाचौकी हाट परिसर में आयोजित भव्य ‘श्री श्याम भजन संध्या महोत्सव’ में उत्तर प्रदेश से आईं प्रसिद्ध भजन गायिका अंजली द्विवेदी ने अपनी मधुर आवाज़ में एक से बढ़कर एक श्याम भक्ति गीतों की प्रस्तुति देकर उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। जैसे ही उन्होंने मंच संभाला और भजन “तेरे नाम का मैं पागल हूं, दुनिया की हमें परवाह नहीं” गाया, वैसे ही पूरा परिसर तालियों और जयकारों से गूंज उठा।
अंजली द्विवेदी ने देर रात तक श्याम प्रेमियों को भक्ति संगीत का ऐसा रसपान कराया कि हर कोई मंत्रमुग्ध होकर झूम उठा। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए लोकप्रिय भजन “हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा”, “लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा”, और “तुमको पाकर इस जीवन को अब कुछ चाह नहीं” ने भक्तों के मन को पूरी तरह भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत मिर्जाचौकी थाना प्रभारी रूपेश कुमार यादव द्वारा फीता काटकर विधिवत उद्घाटन के साथ हुई। इसके पश्चात भजन संध्या का शुभारंभ हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में श्याम भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाएं, पुरुष, बच्चे सभी श्याम नाम में लीन होकर नाचते-गाते नजर आए। रात भर भक्ति का माहौल बना रहा और मिर्जाचौकी हाट परिसर श्याम प्रेम में रंगा नजर आया।
कार्यक्रम में स्थानीय समाजसेवी, व्यापारी और गणमान्य व्यक्तियों की भी उपस्थिति रही। इनमें भोलटु चौधरी, गणेश चौधरी, राजीव जायसवाल, पवन चौधरी, वीरेंद्र शाह, सुनील चौधरी, मुन्ना चौधरी, गुप्तेश्वर सोनी, चंदन वर्णवाल, पशुपतिनाथ चौधरी, विष्णु सोनी, बालेश्वर भगत, मुकेश जायसवाल, प्रमोद जायसवाल, गोलू चौधरी, राजू भगत, गुड्डू चौधरी, अजय जायसवाल, बद्री भगत, अभयानंद भगत, मनोज गुप्ता, प्रमोद गुप्ता, चंदन जायसवाल, नित्यानंद भगत, मोनू जायसवाल, विशाल चौधरी, मनीष भगत सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
श्याम भजन संध्या महोत्सव न सिर्फ भक्ति भावना से ओतप्रोत रहा, बल्कि यह आयोजन स्थानीय जनता के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव बनकर सामने आया। इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि श्याम प्रेम की लहर देश के कोने-कोने से लोगों को एक साथ जोड़ सकती है। श्याम भक्तों का यह समर्पण और आस्था देखते ही बनती थी।
कार्यक्रम का समापन देर रात हुआ, लेकिन भक्तों की ऊर्जा और श्याम प्रेम में कोई कमी नहीं आई। हर कोई यही कहता नजर आया – “बाबा श्याम के दरबार में जो भी आता है, खाली हाथ नहीं लौटता।”
इस भक्ति संध्या ने न सिर्फ लोगों को अध्यात्म से जोड़ा, बल्कि समाज को एकजुट कर सांस्कृतिक एकता का भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।